किसानों की आमदनी 100% डबल होगी |

किसानों की आमदनी 100% डबल होगी |

कृषि घाटे घाटे का सौदा होता जा रहा है| कोई भी किसान अपने बच्चों को आगे किसान बनाना नहीं चाहता है | उसका काम भी है उसका कारण यह भी है की कृषि में खर्च दिन भर दिन बढ़ते जा रहे हैं लेकिन आमदनी उस दर से आमदनी या फसलो के रेट नहीं बढ़ रहे हैं | जिसके फलस्वरूप किसान 6 महीने या साल भर खेत में काम करने के बाद भी घर का खर्च ठीक ढंग से नहीं | आइए समझें की  कृषि को फायदे का सौदा कैसे बना सकते हैं |

  1. जागरूक किसान
  2. पानी ,उर्वरकों और पेस्टिसाइड खुद तैयार करना
  3. सफल किसानों और उन्नत टेक्नोलॉजी का उपयोग करना
  4. फसल से प्रोसेसिंग तक
  5. एफपीओ या संगठन के माध्यम से कृषि करना |

जागरूक किसान

जिस किसान को अपनी मिट्टी, पानी और मौसम की संपूर्ण जानकारी है व उसे पता हो कि उसकी फसल को कब और क्या चाहिए + यह भी समझे की मार्केट में डिमांड किस चीज की है उसी अनुसार फसलों की पैदावार करें |

 मिट्टी: मिट्टी की जानकारी से मेरा अभिप्राय यहां पर यह है कि किसान को यह पता होना चाहिए कि मेरे खेत में किस तरह की मिट्टी है और उसके लिए कौन सी फसल उपयुक्त है उसका पीएच कितना है उसका कार्बन लेवल क्या है और उसमें किन उर्वरको की कमी है या अधिकता है |

पानी: पानी फसल के लिए बहुत ही आवश्यक पोषक तत्व है किसान को पता होना चाहिए कि उसकी खेत में जो पानी दे रहा है उसमें कौन कौन से पोषक तत्व हैं यह कौन से पोषक तत्व नहीं है | उसके पानी का EC व PH कितना है क्योंकि EC
व PH
 कम या ज्यादा होने से फसल पर विपरती असर  पड़ता है | जागरूक किसान वही है जिसको इसकी पूर्ण जानकारी हो |

मौसम:मौसम से मेरा अभिप्राय यहां पर यह है कि किसान को पता होना चाहिए कि किस मौसम में कौन सी फसल की पैदावार अच्छी आती है? और क्यों आती है ? जैसे धान की फ़सल गर्मी के मौसम में ही लगाए जाते हैं और गेहूं की पैदावार हमेशा सर्दियों में ही ली जाती हैं क्यों ऐसा क्यों है?  इसलिए एक जागरुक किसान को पता होना चाहिए अच्छी फसल लेने के लिए क्या तापमान या क्या मौसम होना चाहिए

मिट्टी और पानी की जानकारी होना एक बहुत बड़े विषय हैं इन विषयो में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें |

पानी ,उर्वरकों और पेस्टिसाइड खुद तैयार करना

किसान अपने खेत का खर्च कम कर दें तो ऑटोमेटिकली उसकी आय में वृद्धि हो जाएगी क्योंकि उर्वरक और पेस्टिसाइड फसलों के लिए एक बहुत बड़ा खर्च है और इन को आसानी से कम या बिलकुल खत्म किया जा सकता है | लेकिन किसान को यह पता होना चाहिए उसकी फसल में कौन-कौन से उर्वरक या पोषक तत्व की जरूरत होती है और किन-किन माध्यमों से उनको प्राप्त किया जा सकता है |

सूक्ष्म जीव :जब हम उर्वरकों की बात करते हैं तो शुष्क सूक्ष्म जीवो का अध्ययन करना बहुत जरूरी है | सूक्ष्म जीव हमारे पेड़ पौधों को आस-पास  मिट्टी में मौजूद उर्वरकों को को पौधों तक पहुंचाते हैं | कुछ सूक्ष्म जीव वेस्ट पदार्थों को जैसे गोबर या घास फूस को नष्ट करके खाद में परिवर्तित करते हैं अतः सूक्ष्म जीव (बायो फर्टिलाइजर) का अध्ययन करना भी अति आवश्यक है और इनको हम घर पर कैसे बना सकते हैं या इनको हजारों गुना कैसे मल्टीप्लाई कर सकते हैं ?

इनमें सूक्ष्म जीवों में ऑर्गेनिक संस्था गाजियाबाद द्वारा विकसित वेस्ट डी कंपोजर जो केवल मात्र ₹20 में बोतल प्राप्त हो जाती है उसके उपयोग से आप मुख्य पोषक तत्व तैयार कर सकते हैं |

पानी
:
 अगर किसान पम्प के पानी के बजाय बरसात के पानी को इकट्ठा करके उपयोग करें तो किसान की फसल की पैदावार लगभग 20 से 30% बढ़ जाती है क्योंकि बरसात के पानी में वह सारे पोषक तत्व विद्यमान होते हैं जो फसलों को चाहिए | उसका EC और PH सही मात्रा में विद्यमान होते हैं

 उर्वरक : किसान अगर गोबर, चुना व मुर्गी की बीट इतियादी सही ढंग से प्रयोग करें तो मार्केट से फर्टिलाइजर खरीदने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी |

  • गोबर को सुखाकर खाद बनाना– गोबर को छाया में सुखाकर उसको बोरों में भर ले | अब इसका प्रयोग है हम फसल की बुवाई से पहले यह फसल की बुवाई के उपरांत कभी भी कर सकते हैं | यह विधि है सुभाष पालेकर जी द्वारा विकसित की गई है | 50 किलो सुखा गोबर लगभग हजार किलो सड़े हुए गोबर खाद के बराबर है |
  • गोबर को सड़ा कर खाद बनाना – खेत में केवल पूर्णत: सड़ी हुई गोबर को ही प्रयोग करना चाहिए |अर्ध सड़ी गोबर खाद का प्रयोग कभी भी प्रयोग नहीं करना चाहिए अन्यथा फसल में दीमक या का झुलसने का डर रहता है |
  • गोबर गैस में प्रयोग करके खाद प्राप्त करना : 90 से 95% गोबर गैस प्लांट ठीक ढंग से रखरखाव के अभाव में खराब हो जाते  हैं अगर किसान गोबर गैस का सही उपयोग करें तो इसके किसान को दोहरे फायदे होते हैं एक तो उसको घर में खाना बनाने के लिए गैस प्राप्त होगी दूसरा इससे निकलने वाली सैलरी या खाद बहुत ही उत्तम होती है क्योंकि गोबर के अंदर मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया व गैसे नष्ट हो चुकी होती है |
  • केंचुए प्रयोग करके वर्मी कंपोस्ट है या केंचुआ खाद बनाना – वर्मी कंपोस्ट एक बेहतरीन खाद है क्योंकि इसमें लगभग सभी 16 मुख्य पोषक तत्व विद्यमान होते हैं
  • गोमूत्र गोमूत्र केवल देसी व स्वस्थ गाय का का प्रयोग करें गोमूत्र में लाखों करोड़ों की संख्या में बेनिफिशियल लाभदायक सूक्ष्म जीव विद्यमान होते हैं जो फसलों के लिए अति महत्वपूर्ण होते हैं गोमूत्र का सही मात्रा में प्रयोग है फसलों के लिए बहुत लाभकारी है
  • मुर्गी की बीट – मुर्गी के बीट में भरपूर मात्रा में फास्फोरस होता है जो पौधों के विकास के लिए व पौधों की जड़ों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है
  • घास फूस -को खेत की बची हुई घास फूस को गिलास ना करें घास तैयार करना खा तैयार करना
  • वेस्ट डी कंपोजर –
    वेस्ट डी कंपोजर वेस्ट को बहुत जल्दी खाद में कन्वर्ट कर देता है इसके अलावा इसमें नाइट्रोजन फास्फोरस और पोटाश बैक्टीरिया भी होते हैं जो पौधे के विकास के लिए अत्यंत लाभदायक है होते हैं |वेस्ट डी कंपोजर की अधिक जानकारी के लिए पर क्लिक करें |

सफल किसानों और उन्नत टेक्नोलॉजी का उपयोग:-

सफल किसानों
 :भारत में कई सफल किसान हैं जिन्होंने अपने कृषि मॉडल बनाये हैं जिनमें प्रमुख हैं- सुभाष पालेकर जी, प्रेम सिंह जी, आकाश चौरसिया जी इत्यादि | जिन्होंने किसी कृषि में कम क्षेत्र में अधिक पैदावार लेना और कृषि लागत कम करना इत्यादि पर काम किया है |किसान भाई इनके पास जाकर ट्रेनिंग ले सकते हैं और उस ज्ञान को अपने किसी छोटे क्षेत्र में ट्राई कर सकते हैं | इन सफल किसानों की यूट्यूब पर भी वीडियो लेबल है जिस को देखकर हम ढेर सारी लाभदायक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं

उन्नत टेक्नोलॉजी: किसान
कम क्षेत्र में भी उन्नत टेक्नोलॉजी का प्रयोग करके अधिक पैदावार ले सकते है जैसे मल्टी लेयर फार्मिंग वर्टिकल फार्मिंग पोली हाउस या नेट हाउस फार्मिंग एंड, टर्नल, डवांस एग्रीकल्चर मशीनरी इत्यादि | मल्टी लेयर फार्मिंग व  पॉलीहाउस फार्मिंग में किसान 1 एकड़ से लगभग 5 से 10 एकड़ के बराबर फसल ले सकता है |

पोली हाउस लगाने का खर्च व सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली सब्सिडी की जानकारी के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें

फसल से प्रोसेसिंग तक – जितने भी सफल किसान हैं उन सब में एक कॉमन बात यह देखने को मिलती है कि वह अपने उत्पाद को किसी व्यापारी को नहीं बेचते  हैं | वह अपने उत्पाद को सीधा कस्टमर तक पहुंचाते हैं या उसको प्रोसेस करके बेचते हैं, जैसे गेहूं, ज्वार ,बाजरा इत्यादि को मिक्स करके मल्टीग्रेन आटा बनाकर सीधा कस्टमर तक बेचा जाता है जिसके कारण किसान को मुख्य फसल से 3 से 5 गुना अधिकप्राइस मिलते हैं |