गेहूं की कटाई के बाद खेत की तैयारी |
अप्रैल के महीने में उत्तर भारत में गेहूं की कटाई की जाती है | जो मई महीने के पहले हफ्ते तक खत्म हो जाती है इसके उपरांत ज्यादातर किसान मानसून के मौसम तक खेत को खाली रखते हैं जो कि 2 से 2.5 महीने का समय होता है | इस खाली समय में किसान खेत को एक पानी लगाते है और खेत सूखने के उपरांत खेत की बुआई करके खाली छोड़ देते हैं |
लेकिन अगर किसान को अपने खेत से अच्छी पैदावार लेनी है तो नीचे दिए गए बिंदुओं को अमल में लाना होगा | ताकि वह अगली फसल की अच्छी पैदावार प्राप्त कर सके और खरपतवार की समस्या भी कम से कम आए |
- मिट्टी की जांच |
- मिट्टी को सोलराइज करें
- वेस्ट डी कंपोजर का प्रयोग
- जिप्सम का सही मात्रा में प्रयोग
- गोबर की खाद का प्रयोग करें
- पोषक तत्व वाली फसल की बुवाई
- बरसाती या नहरी पानी का उपयोग
मिट्टी की जांच –
आज के समय में परंपरागत कृषि से किसान लाभ नहीं कमा सकते हैं क्योंकि जिस प्रकार किसान खेत में अंधाधुंध उर्वरक और कीट नाशकों का प्रयोग कर रहे हैं, वह भी बिना मिट्टी की जाँच के | किसान को चाहिए कि वह मिट्टी की जांच करवाएं, ताकि उसे पता चले कि उसकी मिट्टी में कौन से उर्वरकों की कमी है और कौन से उर्वरकों की अधिकता है उसके आधार पर ही खेत में उर्वरकों का प्रयोग करें |
दूसरा, खेत का पीएच मान अवश्य जांच करें ताकि जो उर्वरक हम खेत में प्रयोग कर रहे हैं उसका फसल में पूर्णता उपयोग हो सके | क्योंकि पीएच की अधिकता या कमी हमारी फसल में उर्वरक ग्रहण करने की क्षमता में गहरा प्रभाव डालता है |
मिट्टी को सोलराइज करें :-
फसल की कटाई के बाद खेत में एक हल्का पानी लगाएं उसके उपरांत खेत सूखने के बाद ट्रैक्टर कल्टीवेटर की सहायता से खेत की मिट्टी की अच्छी तरह पलटी मरवा दे और खेत को 15 से 20 दिन के लिए खाली छोड़ दे जिससे मिट्टी का सोलराइजेशन हो जाएगा | मिट्टी में मौजूद हानिकारक कीटाणु व खरपतवार नष्ट हो जाएंगे और मिट्टी दुबारा से रिचार्ज हो जाएगी जो कि अगली फसल के लिए बड़ी लाभकारी रहेगी |
वेस्ट डी कंपोजर का प्रयोग
वेस्ट डी कंपोजर गाय के गोबर से निकाले हुए लाभकारी जीवाणुओं का एक समूह है जो कि 1 ML के अंदर लगभग 70,00000 से भी अधिक जीवाणु होते हैं | यह मार्केट में आसानी से ₹20 की बोतल में मिल जाता है |
वेस्ट डी कंपोजर के अंदर मोजूद जीवाणुओं का एक समूह मिट्टी में मौजूद यूरिया, डीएपी, पोटाश व अन्य पोषक तत्वों को फसल तक पहुंचाने में सहायता करता है जो मिट्टी के लिए लाभदायक है और जीवाणुओं की संख्या भी बढ़ाने में सहायक है |
जिप्सम का सही मात्रा में प्रयोग :-
जिप्सम हमारी मिट्टी मैं कैल्शियम की पूर्ति करता है इसके अलावा इसमें मौजूद सल्फ्यूरिक एसिड हमारी मिट्टी के पीएच मान को कम करने में भी सहायता करता है |
1 एकड़ खेत में लगभग 10 से 12 जिप्सम बैग ( 50 kg per bag) का ही प्रयोग करना चाहिए | कई बड़े किसान 1 एकड़ में 50 से 60 जिप्सम बैग का प्रयोग कर रहे हैं जो कि बिल्कुल भी ठीक नहीं है जिप्सम की अधिक प्रयोग से मिट्टी में मौजूद पोषक तत्व कहा बैलेंस बिगड़ जाता है|
गोबर की खाद का प्रयोग करें :-
गोबर की खाद का कम से कम 4 से 5 टन तक खेत में डालें | ध्यान रहे गोबर की खाद अच्छी तरह गली -सड़ी हो | उसके उपरांत ट्रैक्टर-कल्टीवेटर की सहायता खाद को समांतर बिछाकर खेत की अच्छी तरह बुवाई कर दे | बुवाई के उपरांत खेत में वेस्ट डी कंपोजर मिक्स पानी चलाएं, जिससे हमारी मिट्टी जागृत हो जाएगी और अगली फसल में हमें कम से कम रसायनिक उर्वरकों की जरूरत पड़ेगी |
गोबर की खाद के साथ जिप्सम वह नीम खली का भी प्रयोग किया जा सकता है | इनके प्रयोग से खेत का कार्बन लेवल बढ़ेगा और मिट्टी का पीएच मान उचित हो जाएगा |
पोषक तत्व वाली फसल की बुवाई
खेत में गोबर की खाद, जिप्सम व वेस्ट डी कंपोजर मिक्स पानी चलाने के उपरांत अगर हम खेत में ढांचा सण (सन) मूंग या अन्य दलहन फसल की बुवाई करते हैं तो यह हमारी मिट्टी के लिए सोने पर सुहागा हो जाएगा | इस फसल को 1 महीने की होने के बाद ट्रैक्टर और रोटावेटर की सहायता से मिट्टी में मिक्स कर दे और वेस्ट डी कंपोजर मिक्स पानी खेत में चलाएं |
इसके 15 से 20 दिन उपरांत आप मुख्य फसल की बुवाई कर सकते हैं |
बरसाती या नहरी पानी का उपयोग :-
आजकल किसान ट्यूबल की सहायता से खेत में पानी देता है | जिसके करण जमीनी पानी का अत्याधिक उपयोग से हमारे पानी में मौजूद थे EC और PH बिगड़ गया है और पानी में मुख्य पोषक तत्वों की कमी भी हो गई है | जिसके कारण पौधों में उर्वरक डालने के बाद भी पौधे उर्वरक पूर्ण रूप से ग्रहण नहीं कर रहे हैं | जिसके फलस्वरूप हमारी फसल की पैदावार अच्छी नहीं हो पाती है |
इन सब की पूर्ति के लिए हमें बरसाती व नहर के पानी का प्रयोग करना चाहिए | इसके लिए आप खेत में एक वाटर टैंक भी बनवा सकते हैं | वाटर टैंक बनवाने के लिए राज्य व केंद्र सरकार किसान को सब्सिडी भी प्रदान करती है |
धन्यवाद |
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