ऑर्गेनिक खेती की शुरुआत कैसे करें : जिस प्रकार हम किसी भी क्षेत्र में कोई भी व्यवसाय या नौकरी शुरु करने के लिए उस क्षेत्र की योग्यता प्राप्त करते हैं जैसे इंजीनियर बनने के लिए 4 साल की इंजीनियरिंग की पढ़ाई आवश्यक होती है | उसी प्रकार कृषि में भी अगर आपको ऑर्गेनिक खेती या प्राकृतिक खेती करनी है,
तो पहले मिट्टी ,पानी व क्षेत्रीय मौसम से संबंधित जानकारियां प्राप्त करनी होगी ताकि आप अपने क्षेत्र के हिसाब से उचित फसलों का चयन कर सके और अच्छी पैदावार ले सकें | मिट्टी से संबंधित जानकारी-अगर आप ऑर्गेनिक या प्राकृतिक कृषि की शुरुआत करने जा रहे हैं तो सबसे जरूरी पॉइंट नीचे दिये गए है [ऑर्गेनिक खेती की शुरुआत कैसे करें]:-
- आपके खेत की मिट्टी कौन सी है?
- मिट्टी का पीएच कितना है ?
- पानी का EC कितना है ?
- मिट्टी में कौन-कौन से पोषक तत्व विद्यमान है व किन-किन पोषक तत्वों की कमी है ?
- खेत का कार्बन लेवल क्या है ?
मिट्टी से संबंधित जानकारी के लिए मिट्टी के नमूनों को आप अपने आसपास के हॉर्टिकल्चर लैब या एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी लैब में चेक करवा सकते हैं [ऑर्गेनिक खेती की शुरुआत कैसे करें]|
बोर्डो मिश्रण क्या है | इसे घर पर कैसे बना सकते हैं (Bordo mixture )
Table of Contents
मिट्टी का पीएच मान
एक अच्छी फसल प्राप्त करने के लिए खेत या मिट्टी का पीएच मान उचित होना बहुत आवश्यक है क्योंकि पीएच, मिट्टी में होने वाली जैविक क्रियाओं को प्रभावित करता है | मिट्टी का पीएच यह बतलाता है कि आप की मिट्टी अम्लीय है या अक्षारीय है | कृषि करने के लिए मिट्टी बहुत ज्यादा अम्लीय या अक्षारीय नहीं होनी चाहिए,
अगर पीएच मान एक है तो वह मिट्टी बहुत ज्यादा अम्लीय है और अगर पीएच मान 12 है तो वह मिट्टी बहुत ज्यादा ज्यादा अक्षारीय है ऐसी मिट्टी में कृषि करना संभव नहीं है |
लेकिन कृषि करने के लिए 6.5 से 7.5 पीएच मान उपयुक्त माना गया है | इस पीएच मान में खेत में जो भी उर्वरक डालते हैं वह आसानी से जैविक क्रिया के द्वारा पौधे तक पहुंच जाते हैं जिसके फलस्वरूप खेत में अच्छी फसल पैदावार होती है|

कार्बन लेवल:-
कार्बन सूक्ष्म जीव और पौधों के बीच में एक पुल का कार्य करता है | उचित कार्बन लेवल वाली मिट्टी में फसलों के लिए उपयोगी सूक्ष्म जीव पनपते /उत्पन्न होते हैं जो मिट्टी के आसपास मौजूद उर्वरकों को पौधे की जड़ों तक पहुंचाते हैं और पौधे का पोषण करते हैं |
उचित कार्बन के कारण पौधे के लिए आवश्यक हवा, नमी लम्बे समय तक बनी रहती है |
खेत की मिट्टी को लैब में जांच के दौरान मिट्टी का कार्बन लेवल जरूर चेक करें, यह कम से कम 0.5 के आसपास होना चाहिए या उससे अधिक होना चाहिए|
जितना जमीन का कार्बन अधिक होगा ,मिट्टी उतनी ही अधिक स्वस्थ मानी जाती है | रसायनिक उर्वरकों का अंधाधुन प्रयोग से हमारा खेतों का कार्बन बहुत कम हो गया है भारतीय कृषि योग्य जमीन का औसतन कार्बन लेवल 0.3 तक चला गया है जबकि यूरोपियन यूनियन देशों की कृषि योग्य भूमि का कार्बन लेवल 2.0 से 3.5 के बीच में है |
अगर हमारे खेत का कार्बन लेवल 0.5 से कम है तो खेत में गोबर की खाद, वर्मी कंपोस्ट आदि का प्रयोग करें ताकि खेत का कार्बन लेवल बढ़ाया जा सके | फसलो के बचे हुए अवशेषों को भी वेस्ट डी कंपोजर की सहायता से गला-सड़ा कर जमीन का कार्बन लेवल बढ़ाया जा सकता है |
मिट्टी के लिए पोषक तत्व :-
पौधों के विकास के लिए 16 पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है | इनमें से किसी एक तत्व की भी कमी होने पर पौधों का पूर्णत: विकास नहीं हो पाता है | आइए समझे 16 पोषक तत्व कौन-कौन से हैं :-
कार्बन, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन यह पोषक तत्व मुख्यतः हवा और पानी से पौधों को प्राप्त हो जाते हैं
मुख्य पोषक तत्व– नाइट्रोजन, फास्फोरस व पोटाश |
मध्य पोषक तत्व-कैलशियम, मैग्निशियम व गंधक |
सूक्ष्म पोषक तत्व-लोहा, तांबा, जस्ता, बोरोन, मैंगनीज, क्लोरीन और मोलिब्डेनम |
मिट्टी को सोलराइजेशन करना: –
फसल की कटाई के उपरांत जब खेत खाली हो जाता है | तब किसान को चाहिए ट्रैक्टर कल्टीवेटर की सहायता से खेत की बुवाई करें | उसके उपरांत 15 से 30 दिन के लिए उसे ऐसे ही छोड़ दें | ऐसा करने से मिट्टी सूर्य की किरणों के द्वारा दोबारा से रिचार्ज हो जाएगी व हानिकारक कीटाणु नष्ट हो जाएंगे |

पोषक तत्व वाली फसल की बुवाई :-
मिट्टी सुधार के लिए पोषक तत्व वाली फसल की बुवाई बहुत ही आवश्यक है | आप जैविक खेती करना चाहते हैं या रसायनीक खेती करते हैं दोनों के लिए ही मुख्य फसल की बुवाई से पहले साल में एक बार पोषक तत्व वाली फसल की बुवाई जरूर करनी चाहिए जिसमें ढांचा, सन , दलहनी फसलें की बुई करनी चाहिए |
ढांचा इसमें एक प्रमुख फसल है जो हमारे खेत की नाइट्रोजन व अन्य प्रमुख पोषक तत्वों की पूर्ति करता है व खेत का कार्बन लेवल भी बढ़ता है [ऑर्गेनिक खेती की शुरुआत कैसे करें]|
यह सबसे प्रभावशाली कीटनाशी VBM
जैविक उर्वरक का प्रयोग: –
किसी भी फ़सल की बुवाई से पूर्व 3 से 4 टन गोबर की खाद खेत में डाले + 100 किलो चूना व 50 किलो नीम खली को मिक्स करके खेत में फैला दें | ऐसा करने से खेत का ph मान ठीक होगा व नीम खली के प्रयोग से हानिकारक कीटाणु नष्ट होंगे | उसके उपरांत खेत को पानी से भर दे |
मेड बना कर या बेड पर खेती करना:-इस प्रणाली में खेत में 2 से 3 फीट का बेड बनाया जाता है जिसकी ऊंचाई आधा फीट से लेकर एक फीट तक होती है | दो बेड के बीच में लगभग दो से ढाई फीट का खाली स्थान छोड़ा जाता है |
बेड के बीच में गैप व ऊंचाई होने के कारण भी फसल की जड़ों को भरपूर पोषण वह हवा प्राप्त होती है जिसके फलसवरूप खेत में अच्छी पैदावार होती है [ऑर्गेनिक खेती की शुरुआत कैसे करें]|
जैविक मल्चिंग :- मिट्टी को घास-फूस से ढकने को हम जैविक मल्चिंग करना कहते हैं | मिट्टी या बेड हो जब हम घास उसे ढक देते हैं तब मिट्टी में उपयुक्त नमी बनी रहती है सर्दी व गर्मियों के मौसम में यह घास फूस की छाया से मिट्टी में उचित तापमान बना रहता है |
जिसके मिट्टी में मोजूद लाभदायक जीवाणु फसलों की जड़ों के आसपास अपना कार्य आराम से करते रहते हैं और मिट्टी में मौजूद पोषक तत्वो को पौधे की जड़ों तक पहुंचाते है |
मल्चिंग न करने पर सूर्य की रोशनी के कारण लाभदायक जीवाणु जमीन की नीचे की तरफ चले जाते हैं और खेत में उर्वरक डालने के बाद भी पौधों को उपयुक्त पोषण नहीं मिल पाता है,
क्योंकि पौधों की जड़ों तक उर्वरक पहुंचाने वाले जीवाणु नीचे मिटटी की गहराई में चले जाते हैं | जैविक मल्चिंग के लिए हम पेड़ पौधों के पत्ते, केले के पत्ते, वह धान की पराली का प्रयोग कर सकते हैं.
बीज उपचार: –
किसी भी बीज की बुवाई से पहले बीज उपचार अति आवश्यक है अन्यथा बीज से प्राप्त पोधा स्वस्थ नहीं होगा या बीमारी के साथ वह पौधा आगे बढ़ेगा |बीज उपचार के लिए वेस्ट डी कंपोजर या गोमूत्र का प्रयोग भी कर सकते हैं |

फ़सल के लिए जैविक उर्वरक का प्रयोग: –
फसलों की अच्छी पैदावार के लिए मुख्य तत्व चाहिए नाइट्रोजन फास्फोरस व पोटाशियम जिन्हें आम भाषा में हम यूरिया, डीएपी, पोटेशियम भी कहते हैं |इन रसायनिक उर्वरको की पूर्ति हम जैविक उर्वरको से कैसे करेंगे, इसके लिए नीचे दिए गए उर्वरकों के बारे में जानकारी होना अति आवश्यक है:-
1.जीवामृत व घन जीवामृत
2.नीमास्त्र
3.ब्रह्मास्त्र
4.वेस्ट डी कंपोजर
5.वर्मी कंपोस्ट
6.गोबर की पुरानी खाद
इसके अलावा प्राकृतिक खेती के लिए फसल को बदल-बदल उगाना अति आवश्यक है | आजकल किसान केवल धान और गेहूं की फसल को उगा रहे हैं |
एक ही तरह की फसलों को खेत में उगने से पोषक तत्वों की कमी हो जाती है | इसलिए जिस खेत में गेहूं या धान की फसल ली है अगले साल उसमें एक गन्ने, दलहन या सब्जियों से संबंधित फसलें ली जा सकती हैं जिससे खेत में उपयुक्त पोषक तत्व बने रहते हैं |
ऑर्गेनिक खेती की शुरुआत कैसे करें: पुछे जाने वाले प्रश्न
ऑर्गेनिक खेती में क्या क्या आता है?
ऑर्गेनिक खेती में जैविक खाद, जैविक बीज, और जैविक कीट प्रबंधन का उपयोग किया जाता है।
ऑर्गेनिक खाद कैसे बनाया जाता है?
ऑर्गेनिक खाद बनाने के लिए काचे खाद सामग्री और जैविक संशोधनों का उपयोग किया जाता है।
मैं अपने खेत को जैविक कैसे बनाऊं?
अपने खेत को जैविक बनाने के लिए आपको जैविक खाद और जैविक जीवन का सही तरीके से प्रबंधन करना होगा।
जैविक खेती को अपनाने की शुरुआत करने के लिए बुनियादी सिफारिश क्या हैं?
जैविक खेती की शुरुआत के लिए, पहले जैविक खाद का उपयोग करें और जैविक पेस्टिसाइड्स का उपयोग करें, और सही कीट प्रबंधन प्रैक्टिसेस को अपनाएं।
ट्राइकोडर्मा घर पर कैसे बनाएं?
ट्राइकोडर्मा (Trichoderma) को घर पर बनाने के लिए, आपको शुरुआत में शृंग और मीठा दही का उपयोग करके कीटनाशक के रूप में प्रयोग कर सकते हैं।
14 thoughts on “ऑर्गेनिक खेती की शुरुआत कैसे करें ?”