काले चावल की खेती कैसे करें: काले चावल की खेती मणिपुर, असम के अलावा उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले के आसपास के जिलो में भी की जाती है | काले चावल की जड़ें प्राचीन चीन से हैं, जहां इसे ‘निषिद्ध चावल’ कहा जाता है और माना जाता है कि यह शाही उपभोग है। हालांकि, काले चावल या चक-हाओ (स्वादिष्ट चावल) सदियों से मणिपुर के लिए स्वदेशी रहे हैं। कुछ साल पहले तक, फसल की खपत ज्यादातर स्थानीय स्तर पर ही थी | लेकिन विदेशों में काले चावल की डिमांड व उच्च प्राइस के कारण यह निर्यात भी किया जाने लगा [काले चावल की खेती कैसे करें]|
बाजरा की खेती कब और कैसे करें?
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काले चावल की खेती से जुड़ी जानकारियां :-
अगर आप के क्षेत्र में सफेद चावल की खेती हो रही है तो आप काले चावल की भी खेती कर सकते हैं मुख्यतः काले चावल की खेती दो तरह से की जाती है- एक जैविक दूसरा रासानिक | जैविक काले चावल की बाजार में अच्छी कीमत मिल जाती है जो लगभग 200 से ढाई ₹300 kg के हिसाब से मिलती है और वही रसायनिक काली चावल की कीमत लगभग 70 से ₹85 के बीच में मिलती है |
लेकिन ध्यान रहे रसायनिक काली चावल के मुकाबले जैविक काले चावल की डिमांड मार्केट में ज्यादा है | चा-खाओ (ओरिज़ा सैटिवा एल) के नाम से जाना जाता है, को हाल ही में अपनी अनूठी सुगंध और आकर्षक रंग के कारण 2020 में जीआई टैग (जीआई रेग नंबर 602) मिला है।
यह पूर्वोत्तर भारत के सभी राज्यों में उगाई जाने वाली एक बहुत ही लोकप्रिय काले चावल की किस्म है और मणिपुर के कुल चावल उत्पादन का लगभग 10% है। आजकल यह किस्म पश्चिमी ओडिशा के किसानों द्वारा जैविक रूप से भी उगाई जाती है, [काले चावल की खेती कैसे करें]।
काले चावल की खेती कैसे करें :-
- उत्तर भारत में काले चावल की नर्सरी मई के पहले हफ्ते में बुवाई की जाती है
- मध्यम प्रकार की भूमि (मल) कलाबती या काले चावल की खेती के लिए उपयुक्त होती है। इसकी पत्तियों का रंग हरे और बैंगनी रंग का मिश्रण होता है।
- काले चावल के रसायनिक बीज की कीमत लगभग ₹300 से ₹400 के बीच में मिलेगी जबकी जैविक बीज लगभग 500 से ₹800 के बीच में प्राप्त होगा | 1 बीघा काले चावले की खेती के लिए 3 kg बीज पर्याप्त है |
- लगभग 20 से 30 दिन में नर्सरी को तैयार हो जाएगी | इसके उपरांत आप नर्सरी को खेत में लगा सकते हैं |
- काले चावल की बुवाई उत्तर भारत में 25 मई से 10 जून के आसपास की जानी चाहिए |
- प्रति पौधे टिलर की संख्या न्यूनतम 20 से 30 है। फसल की कुल अवधि 140 से 150 दिन है इसलिए इसे लंबी अवधि के चावल कहा जा सकता है। अपने विकास के 2 से 3 महीनों के बाद जब पौधा 2 से 3 फीट की ऊंचाई तक पहुंच जाता है, तो इसकी मुख्य वानस्पतिक अवधि के दौरान अधिक संख्या में उत्पादक टिलर को प्रोत्साहित करने के लिए इसे एक बार काट दिया जाता है जिससे प्रति यूनिट क्षेत्र में कुल उपज और उत्पादकता बढ़ जाती है।
- ब्लैक राइस के पौधों की लंबाई लगभग 5 फीट से लेकर 6 फीट तक रहती है |
- रोपाई के 120 दिनों के बाद धान की कटाई की जाती है। यह औसतन 12-15 क्विंटल प्रति एकड़ उपज देता है [काले चावल की खेती कैसे करें]।
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ब्लैक राइस (काले चावल) के बीज कहां पर मिलेंगे ?
ब्लैक राइस के बीज खरीदने के लिए आप अपने पास के केवीके कृषि केंद्र संपर्क करें या यूपी के चंदौली डिस्ट्रिक्ट के किसानों से संपर्क करके भी बीज प्राप्त किए जा सकते हैं | चंदौली के केवीके सेंटर से भी काले चावल या ब्लैक राइस का बीज खरीद सकते हैं | इसके अलावा नीचे दी गई व्हाट्सएप नंबर पर मैसेज करके भी अब बीज की उपलब्धता की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं [काले चावल की खेती कैसे करें]|
काला चावल और बीज खरीदने के लिए संपर्क करें
बिस्वजीत प्रधान (एम-8249817078) (बीज की प्राप्ति के बाद ही बीज की पेमेंट करें)
केवल मैसेज करे:- 6267086404 (बीज की प्राप्ति के बाद ही बीज की पेमेंट करें)
बीज उपलब्धता: बीज दिसंबर से जनवरी* के बीच उपलब्ध होता है।
- ओडिशा के बरगढ़ जिले के स्वदेशी बीज जर्मप्लाज्म में 6 काले चावल की किस्में उपलब्ध हैं।
- काले चावल की एक स्थानीय किस्म “कलाबाती” है
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किसानों को ब्लैक राइस की खेती करते समय क्या क्या सावधानी रखनी चाहिए:-
- सबसे पहले किसान अपने क्षेत्र की जलवायु और मिट्टी को समझ ले कि वह चावल या धान की फसल के लिए उपयुक्त है या नहीं | उसके उपरांत ही काली चावल की खेती के बारे में विचार करें |
- ब्लैक राइस की खेती की शुरुआत एक बीघा से कम क्षेत्र से करें | क्योंकि ऐसा करने पर किसान को काले चावल की खेती से संबंधित जोखिम व क्रय-विक्रय से संबधित सभी तरह की जानकारी प्राप्त हो जाएगी | अगर किसी कारणवश किसान अपनी मार्केट में नहीं लिख पाती है तो इस मात्रा को वह है अपने क्षेत्रीय घर में उपयोग कर सकता है
- ब्लैक राइस की फसल पकने में सामान्य बासमती राइस से लगभग एक से डेढ़ महीना अधिक लगता है तो इसके लिए इसकी नर्सरी मई फर्स्ट वीक के अंदर जरूर से लगा दें और मई महीने के आखिरी दिनों में जो खेत में बुवाई कर दे | जिससे फसल समय पर तयार होने के उपरांत आप गेहूं की फसल की खेती कर पाएंगे |
- यह किस्म केवल जैविक प्रबंधन प्रथाओं के तहत जैव उर्वरकों और जैव कीटनाशकों की एक छोटी खुराक के साथ उगाई जाती है। यूरिया (नाइट्रोजन उर्वरक) का प्रयोग इस फसल के लिए हानिकारक माना जाता है क्योंकि इसकी ऊंचाई न्यूनतम 5-6 फीट तक होती है। यूरिया जैसे रासायनिक उर्वरकों का उपयोग करते समय फसल की कटाई में कठिनाइयों के कारण प्लांट शो में टिलर और उपज कम हो जाती है [काले चावल की खेती कैसे करें]।
ब्लैक राइस या काले चावल के क्या-क्या फायदे हैं |
यह कार्बोहाइड्रेट पर कम और फाइबर, आयरन और प्रोटीन पर बहुत अधिक है। प्रत्येक अनाज में एंथोसायनिन होता है, जो इसे एक अलग रंग देता है और एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है।
चावल को एक प्राकृतिक डिटॉक्सिफायर के रूप में भी जाना जाता है और इसका सेवन एथेरोस्क्लेरोसिस, मधुमेह, अल्जाइमर, उच्च रक्तचाप, उच्च कोलेस्ट्रॉल, गठिया, एलर्जी, उम्र बढ़ने के संकेत और यहां तक कि कैंसर जैसी बीमारियों की रोकथाम में सहायक होता है।
चीन में काले चावल को ‘शाही चावल’ माना जाता था और यह केवल चीनी रॉयल्टी के लिए आरक्षित था, एक प्रथा जिसे सदियों से सम्मानित किया गया था। सौभाग्य से, आज आपको काले चावल के स्वास्थ्य लाभों का आनंद लेने के लिए शाही वंश का नहीं होना चाहिए।
काले चावल के पौधे के हरे और बैंगनी रंग के मिश्रित पत्तों का उपयोग दूध देने वाली गायों और भैंसों को खिलाने के लिए किया जाता है। गायों और भैंसों को अत्यधिक पौष्टिक (एंटीऑक्सिडेंट और आयरन से भरपूर) चारा के रूप में फसल की वृद्धि के 2 से 3 महीने बाद काटे गए काले चावल के पत्ते देने के बाद दूध के उत्पादन में वृद्धि देखी जाती है [काले चावल की खेती कैसे करें]।
इसकी पत्तियों के बैंगनी रंग के कारण, कीट के समूह पौधे की ओर कम से कम आकर्षित होते हैं। चूंकि यह किस्म चावल की सभी प्रकार की बीमारियों जैसे बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट, ब्लास्ट, ब्राउन स्पॉट और बीपीएच (ब्राउन प्लांटहोपर) के लिए अत्यधिक सहिष्णु है, इसलिए हमारे किसान इसे किसी भी रासायनिक कीटनाशकों और उर्वरकों का उपयोग किए बिना अच्छी जल निकासी सुविधाओं के साथ मध्यम प्रकार की भूमि में उगाते हैं।
काले चावल की खेती: लोगो के द्वारा पुछे जाने वाले प्रश्न
काले चावल की कीमत क्या है?
काले चावल की कीमत विभिन्न बाजारों में भिन्न होती है, यह विशेष स्थान और बाजार पर निर्भर करती है।
काला नमक धान कितने दिन में पैदा होता है?
काला नमक धान उगाने का समय विशेष जलवायु और कृषि प्रथाओं पर निर्भर करता है, लेकिन आमतौर पर 90-120 दिनों में पूरा हो सकता है।
भारत में काला चावल कहां उगाया जाता है?
काला चावल भारत के विभिन्न राज्यों में उगाया जाता है, जैसे कि पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, और बिहार।
क्या काला चावल सच में चावल होता है?
हाँ, काला चावल एक प्रकार का चावल होता है जिसका बिल्कुल ठीक रूप से उपयोग किया जा सकता है।
काला चावल इतना महंगा क्यों है?
काला चावल महंगा होता है क्योंकि इसका उत्पादन कठिन होता है, और इसकी विशेष मांग होती है जो कीमतों को बढ़ा देती है।
लाल या काला चावल कौन सा बेहतर है?
चावल का रंग उसके प्रकार और उपयोग के आधार पर निर्भर करता है, लेकिन आमतौर पर दोनों चावल बराबरी में उपयोग किए जा सकते हैं।
काला चावल धोना चाहिए?
हाँ, किसी भी चावल को धोकर साफ करना और फिर पकाना उसके स्वास्थ्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है।