जैविक कीटनाशी (बायो-पेस्टीसाइड) की जानकारी |

 कृषि में रसायनों के प्रयोग से जहाँ कीटों, रोगों एवं खरपतवारों में सहनशक्ति पैदा हो रही है और कीटों के प्राकृतिक शत्रु (मित्र कीट) प्रभावित हो रहे है, वहीं कीटनाशकों के अवशेष खाद्य पदार्थों मिट्टी, जल एवं वायु को प्रदूषित कर रहे है। रसायनिक कीटनाशकों के हानिकारक प्रभावों से बचने के लिए जैविक कीटनाशी (बायो-पेस्टीसाइड) का प्रयोग करना अत्यंत आवश्यक है | जिससे पर्यावरण प्रदूषण को कम कर मनुष्य के स्वास्थ्य पर बुरा असर रोकने के साथ-साथ मित्र कीटों का भी संरक्षण होगा तथा विषमुक्त फसल, फल एवं सब्जियों का उत्पादन भी किया जा सकेगा।

जैविक कीटनाशी (बायो-पेस्टीसाइड)

जैविक कीटनाशी (बायो-पेस्टीसाइड) फफॅूदी, बैक्टीरिया विषाणु तथा वनस्पति पर आधारित उत्पाद है जो फसलों को कीटों एवं रोगों से सुरक्षित कर प्रोडशन बढ़ाने में सहयोग प्रदान करते है | आइए नीचे दी गई जानकारी से समझें कि जैविक कीटनाशी (बायो-पेस्टीसाइड) कितने प्रकार के होते हैं, और उनके उपयोग क्या है :-

  1. ट्राईकोडर्मा
  2. ब्यूवेरिया बसियाना
  3. स्यूडोमोनास
  4. मेटाराइजियम एनिसोप्ली
  5. वर्टीसीलियम लैकानी
  6. बैसिलस थूरिनजियेन्सिस बैक्टीरिया
  7. एन.पी.वी. वाइरस

जैविक उर्वरक या बायो फर्टिलाइजर के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त करें

ट्राइकोडरमा विरिडी /ट्राइकोडरमा हारजिएनम

1% WP) (2X108 cfu प्रति ग्राम)

ट्राईकोडर्मा एक ऐसा जैविक फफूंद नाशक है जो पौधों में मृदा एवं बीज जनित बीमारियों को नियंत्रित करता है । इसके अतिरिक्त ट्राइकोडरमा अपने विकास के दौरान आसपास के वातावरण में ऐसे रसायनों को स्रावित करता है, जो प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोगजनक कवक के लिए जहर के रूप में कार्य करते हैं, जिससे रोगजनक कवक के विकास को रोकते हैं। ट्राइकोडरमा की सेल्फ लाइफ सामान्य तापक्रम पर एक वर्ष है।

ट्राइकोडरमा विभिन्न प्रकार के फसलों, फलों एवं सब्जियों में जड़, सड़न, तना सड़न डैम्पिंग आफ, उकठा, झुलसा आदि फफॅूदजनित रोगों में लाभप्रद पाया गया है | यह मृदा में पनपता है एवं वृध्दि करता है तथा जड़ क्षेत्र के पास पौधों की तथा फसल की नर्सरी अवस्था से ही रक्षा करता है। ट्राईकोडर्मा की लगभग 6 स्पीसीज ज्ञात हैं लेकिन केवल दो ही ट्राईकोडर्मा विरिडी व ट्राईकोडर्मा हर्जीयानम मिट्टी में बहुतायत मिलता है।

 ट्राइकोडरमा के प्रयोग से बीजों का अंकुरण अच्छा होता है तथा फसलें फफूंदजनित रोगों से मुक्त रहती हैं। नर्सरी में ट्राइकोडरमा का प्रयोग करने पर जमाव एवं वृद्धि अच्छी होती |

फ़ायदे

  • वृद्धि को बढ़ावा देने वाले रसायनों के स्राव के कारण, यह पौधों के विकास को बढ़ावा देता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
  • ट्राइकोडरमा मेलोइडोगाइन एसपीपी जैसे रोगजनक नेमाटोड के विकास को धीमा करके पौधे की रक्षा करता है।
  • ट्राइकोडरमा का उपयोग बीज उपचार, कंद उपचार, स्प्रे के रूप में किया जा सकता है, या सीधे खाद के साथ मिलाया जा सकता है।
  • यह पर्यावरण, पौधों, जानवरों और मनुष्यों के लिए अत्यधिक सुरक्षित है।

Soil Treatment– 50 किलो नीम की खली/खेत की खाद में 1 किलो ट्राइकोडरमा मिलाकर एक एकड़ मिट्टी में मिला दें।

Seed Treatment- 10 ग्राम ट्राइकोडरमा में बीज लें, 4-5 मिलीलीटर पानी में पेस्ट बनाएं और बुवाई से पहले बीज को कोट करें।

Spray- 250-300 लीटर पानी में 1 किलोग्राम ट्राइकोडरमा मिलाकर 1 एकड़ फसल/बगीचे पर नैप्सैक/पावर स्प्रेयर द्वारा पत्तियों पर धब्बे दिखने पर छिड़काव करें।

ट्राइकोडर्मा इफको व सरकारी बीज भंडारों दवा की दुकानों में उपलब्ध है। किसान इसको अपना कर फसल की लागत कम कर सकते हैं। इसके प्रयोग से फसल का उत्पादन भी अच्छा होता है।

ट्राइकोडरमा के प्रयोग से पहले एवं बाद में रासायनिक फफूंदीनाशक का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

ब्यूवेरिया बसियाना

 1.15% WP) (2×108 cfu प्रति ग्राम)

ब्यूवेरिया बेसियाना एक प्रभावी जैविक कीटनाशक है जो कैटरपिलर, आर्मी वर्म, डायमंड बैक मोथ, व्हाइटफ्लाई, एफिड्स, जसिडा, ग्रीन/उन हॉपर, मीली बग, वीविल, लीफ माइनर्स, बोर्स, ग्रब आदि जैसे कई कीड़ों को नियंत्रित कर सकता है। दीमक नियंत्रण के लिए भी ब्यूवेरिया बेसियाना का प्रयोग किया जा सकता है।

ब्यूवेरिया बेसियाना  के लाभ :-

  • ब्यूवेरिया बैसियाना अधिक आर्द्रता एवं कम तापक्रम पर अधिक प्रभावी होता है।
  • ब्यूवेरिया बेसियाना परजीवी शिकारियों और लाभकारी रोगाणुओं के लिए कोई खतरा नहीं है
  • ब्यूवेरिया बेसियाना एक प्राकृतिक जैविक कीटनाशक है।

ब्यूवेरिया बेसियाना को कैसे इस्तेमाल करे :-

स्प्रे : एक kg ब्यूवेरिया बेसियाना को 200 लीटर पानी में घोलें और 1 एकड़ फसल वाले क्षेत्र में छिड़काव करें।

मिट्टी में आवेदन: 1 एकड़ में बोरर्स, ग्रब और दीमक के नियंत्रण के लिए 1200 ग्राम ब्यूवेरिया बेसियाना को 300 लीटर पानी के साथ भिगो दें।

स्यूडोमोनास फ्लोरेसेंस 

 0.5% WP 2×108 सीएफयू/ग्राम।

स्यूडोमोनास पौधे की प्रणाली में प्रवेश करती है और रोगों के खिलाफ एक प्रणालीगत जैव नियंत्रण एजेंट के रूप में कार्य करती है।  इसकी एक मजबूत ऑक्सीडेंट शक्ति है जो पर्यावरण प्रदूषकों को तोड़ने में मदद करती है और पौधे के विकास के लिए उपयोगी एंजाइम और ऑक्सीजन प्रदान करती है।स्यूडोमोनास के बैक्टीरिया नाइट्रोजन में भी मदद करते हैं मिट्टी में निर्धारण प्रक्रिया। स्यूडोकेयर की वृद्धि संवर्धन गतिविधि कई उदाहरणों में देखी गई है।

स्यूडोमोनास प्रफ्लोरेसेंस विभिन्न फसलों में ब्लाइट, कॉलर रोट, रूट रोट, विल्ट, लीफ स्पॉट, एन्थ्रेक्नोज, अल्टरनेरिया, डाउनी और पाउडर फफूंदी आदि रोगों के प्रबंधन के लिए एक प्रभावी जैव फफूँदिनाशक है

फ़ायदे

  1. स्यूडोकेयर में प्रति ग्राम 2×108 बीजाणु होते हैं, यह उनके भोजन के लिए अन्य हानिकारक कवक के साथ प्रतिस्पर्धा पैदा करता है और अंततः दुश्मन कवक को नष्ट कर देता है।
  2. स्यूडोकेयर में बायो फंगसाइड और ग्रोथ प्रमोटर के गुण होते हैं।
  3. स्यूडोकेयर सूक्ष्म परजीवी प्रक्रिया के माध्यम से फसलों की जड़ों की रक्षा करने में भी मदद करता है।
  4. स्यूडोकेयर पौधों की वृद्धि को भी उत्तेजित करता है, जिसके परिणामस्वरूप बीज के अंकुरण में वृद्धि होती है और पौध का स्वस्थ विकास होता है।
  5. स्यूडोकेयर पर्यावरण, पौधों, जानवरों और मनुष्यों के लिए असाधारण रूप से सुरक्षित है और इसका उपयोग जैविक उरकों के संयोजन में किया जा सकता है।

Soil Treatment– 50 किलो नीम की खली खेत की खाद में 1 किलो स्यूडोकेयर मिलाकर एक एकड़ मिट्टी में मिला दें।

Spray- 250-300 लीटर पानी में 1 किलो स्यूडोकेयर मिलाकर 1 एकड़ की फसल/बगीचे पर नैपसैक/पावर स्प्रेयर से पत्तों के धब्बे दिखने पर छिड़काव करें।

एहतियात चूंकि उत्पाद की प्रभावशीलता के लिए उच्च स्तर की आर्द्रता की आवश्यकता होती है, इसलिए आवेदन के तुरंत बाद खेत की सिंचाई करनी चाहिए।

गोमूत्र की सहायता से कीटनाशक कैसे बनाएं और खेत में प्रयोग कैसे करें?

 मेटाराइजियम एनिसोप्ली

1.15% WP) (2×108 cfu प्रति ग्राम) 

मेटाराइजियम एनिसोप्ली फफूँद पर आधारित जैविक कीटनाशक है |मेटाराइजियम एनिसोप्ली मिट्टी में पाया जाने वाला एक उपयोगी कवक है। इसके बीजाणु परपोषी/कीट के शरीर पर अंकुरित होकर कोनिडिया बनाते हैं जो हरे रंग के होते हैं, हरे रंग के कोनिडिया के कारण इसे हरा मस्कार्डिन रोग भी कहा जाता है। यह कवक गन्ने में पाइरिला और स्पिटल बग, कपास और मूंगफली की जड़ों पर हमला करने वाले सफेद ग्रब, धान में ब्राउन प्लांट हॉपर, हरे सेमी लूपर, नारंगी में मेलीबग, तंबाकू कैटरपिलर, स्टेम-कटिंग कटवार्म और गैंडे की घटनाओं का सफलतापूर्वक प्रबंधन कर सकता है।

फ़ायदे

  1. मेटाराइजियम एनिसोप्ली उपरोक्त सभी कीटों के लिए एक प्रभावी जैव कीटनाशक है।
  2. यह पर्यावरण, पौधों, जानवरों और मनुष्यों के लिए अत्यधिक सुरक्षित है।
  3. अगली फसल में भी लाभदायक and किफायती।

How To Use

मृदा उपचार – 100 किलो गोबर में 1 किलो मेटाराइजियम एनिसोप्ली मिलाकर ढेर बना लें और उसमें 20-25 प्रतिशत नमी होनी चाहिए। ढेर को बोरी या पॉलिथीन से ढक दें और 3 दिन बाद बुवाई से पहले एक एकड़ खेत में अच्छी तरह मिला लें।

दीमक उपचार- 2.5 ग्राम मेटाराइजियम एनिसोप्ली को 1 लीटर पानी में घोलें, दीमक कॉलोनी को अच्छी तरह से भिगो दें और आसपास के क्षेत्र में भी इसका छिड़काव करें।

स्प्रे- 1 किलो मेटाराइजियम एनिसोप्ली को 200 लीटर पानी में घोलकर एक एकड़ में स्प्रे करें। इसे शाम के समय करना चाहिए।

वर्टीसीलियम लैकानी

वर्टीसीलियम लैकानी 1-15% W.P के फार्मुलेशन में उपलब्ध है

वर्टीसीलियम लैकानी  फफूँद पर आधारित जैविक कीटनाशक है।  जो विभिन्न प्रकार के फसलों में चूसने वाले कीटों यथा सल्क कीट, माहू, थ्रिप्स, जैसिड, मिलीबग आदि के रोकथाम के लिए लाभकारी हैं। वर्टीसीलियम लैकानी के प्रयोग के 15 दिन पहले एवं बाद में रासायनिक फफूंदीनाशक का प्रयोग नहीं करना चाहिए। वर्टीसीलियम लैकानी की सेल्फ लाइफ एक वर्ष है।

वर्टीसीलियम लैकानी के प्रयोग की विधि

खड़ी फसल में कीट नियंत्रण हेतु 2.5 किग्रा. प्रति हेक्टेयर की दर से 400 लीटर पानी में घोलकर आवश्यकतानुसार 15 दिन के अंतराल पर सांयकाल छिड़काव करना चाहिए।

 बैसिलस थूरिजियेन्सिस (बी.टी.)

5% डब्लू.पी.

बैसिलस थूरिनजियेन्सिस बैक्टीरिया पर आधारित जैविक कीटनाशक है, जो प्राकृतिक रूप से क्रिस्टल प्रोटीन उत्पन्न करता है। यह प्रोटीन कीटों के लिये हानिकारक होता है। बैसिलस थूरिनजियेन्सिस प्रजाति कर्सटकी है | यह  विभिन्न प्रकार के फसलों, सब्जियों एवं फलों में लगने वाले लेपिडोप्टेरा कुल के फली बेधक, पत्ती लपेटक, पत्ती खाने वाले कीटों की रोकथाम के लिए लाभकारी है। बैसिलस थूरिनजियेन्सिस के प्रयोग के 15 दिन पूर्व या बाद में रासायनिक बैक्टेरीसाइड का प्रयोग नहीं करना चाहिए। बैसिलस थूरिनजियेन्सिस की सेल्फ लाइफ एक वर्ष है।

बैसिलस थूरिनजियेन्सिस के प्रयोग की विधि

खड़ी फसल में कीट नियंत्रण हेतु 0.5-1.0 किग्रा. प्रति हेक्टेयर की दर से 400-500 लीटर पानी में घोलकर आवश्यकतानुसार 15 दिन के अंतराल पर सायंकाल छिड़काव करना चाहिए।

 न्यूक्लियर पालीहेड्रोसिस वायरस (एन.पी.वी.)

एन.पी.वी. वाइरस पर आधरित जैविक कीटनाशक है, एन.पी.वी. वाइरस संक्रमित जीव या सूंडी की कोशिकाओं में प्रवेश करता है और तब तक प्रजनन करता है जब तक कोशिका संक्रमित जीव या सूंडी के तरल पदार्थ में क्रिस्टल का उत्पादन शुरू नहीं कर देती। ये क्रिस्टल एक संक्रमित जीव या सूंडी से दूसरे में वायरस संचारित कर सकते हैं। मेजबान वायरस युक्त तरल पदार्थ से स्पष्ट रूप से सूज जाता है, और अंततः मर जाता है |

एन.पी.वी. वाइरस चने की सूंडी एवं तम्बाकू की सूंडी के नियंत्रण के लिए प्रयोग में लाया जाता है। चने की सूंडी के लिए बना हुआ जैविक कीटनाशक 2% A.S. एवं तम्बाकू की सूंडी से बना हुआ जैविक कीटनाशक 0-5% A.S. के फार्मुलेशन में उपलब्ध है। चने की सूंडी से बना हुआ एन.पी.वी. चने की सूंडी पर ही काम करता है। कीट की सूंडी के द्वारा वाइरस युक्त पत्ती या फली खाने के 3 दिन बाद सूंडियों का शरीर पीला पड़ने लगता है तथा एक सप्ताह बाद सूंडियॉ काले रंग की हो जाती है तथा शरीर के अन्दर द्रव भर जाता है। रोगग्रस्त सूंडियॉ पौधे की ऊपरी पत्तियों अथवा टहनियों पर उल्टी लटकी हुई पायी जाती है। एन.पी.वी. की सेल्फ लाइफ एक वर्ष है।

न्यूक्लियर पालीहेड्रोसिस वायरस के प्रयोग की विधि

खड़ी फसल में कीट नियंत्रण हेतु 250-300 लारवा के समतुल्य (एल.ई.) प्रति हेक्टेयर की दर से 400-500 लीटर पानी में घोलकर आवश्यकतानुसार 15 दिन के अंतराल पर सांयकाल छिड़काव करना चाहिए।

संक्रमित कीड़ों में मृत्यु दर लगभग 100% है।

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