मटका खाद(matka khad) के बारे में कहा जाता हैं अगर किसान इसका प्रयोग अपनी फसल में करता है तो उसे अपने खेत में ना तो यूरिया डालने की आवश्यकता पड़ेगी और ना ही D.A.P | मटका खाद अपने आप में एक संपूर्ण खाद है | मटका खाद का लगातार खेत में इस्तेमाल करने से खेत का कार्बन लेवल भी बढ़ जाता है |
Table of Contents
मटका खाद बनाने की विधि इस प्रकार है :-
No. | सामग्री | मात्रा |
1 | देशी गाय का ताजा गोबर (एक दिन से ज्यादा पुराना नहीं होना चाहिए) | 20 kg |
2 | गोमूत्र (एक दिन से ज्यादा पुराना नहीं होना चाहिए) | 20 लीटर |
3 | सरसों की खली (सरसों की खल) | 2 kg |
4 | गुड़ (देशी व पुराना गुड़ खाद के लिए सबसे बढ़िया होता है) | 2 kg |
5 | उड़द दाल का आटा | 2 Kg |
6 | बरगद या पीपल के पेड़ के नीचे की मिट्टी या जंगल से प्राप्त उपजाऊ मिट्टी | 100 ग्राम |
ऊपर दी गई सामग्री को किसी बड़े मटके या प्लास्टिक के ड्रम में डालें | मटका खाद (matka khad)के लिए लोहे का या अन्य धातु का बर्तन प्रयोग नहीं करना चाहिये |
यह सामग्री को बर्तन या ड्रम में डालकर अच्छी तरह घोल ले | लगभग 10 टाइम दाएं और 10 टाइम बाएं गुमाये (घोल ले) | जिससे यह गोल अच्छी तरह मिक्स हो जाए |
मटका खाद की सामग्री को बर्तन में डालने के पश्चात, बर्तन को किसी वस्तु या कपड़े से कवर कर देना है ताकि उसके अंदर कोई कीट पतंगे व बाहर की धूल मिट्टी ना जा सके लेकिन उसको एयरटाइट नहीं करना है ऐसे करने पर अंदर की जैविक प्रक्रिया रुक जाएगी केवल कपड़े से या किसी ढक्कन से हल्के से ढक देना है |
मटका खाद को खेत में कैसे प्रयोग करें :-
मटका खाद को तैयार होने में 5 से 6 दिन का समय लगता है | यह सामग्री लगभग 1 एकड़ में प्रयोग की जा सकती है | इस सामग्री को अपनी आवश्यकता अनुसार पानी मिला ले इसमें 200 लीटर से लेकर 1000 लीटर तक पानी मिला सकते हैं | पानी मिलाने के पश्चात सामग्री को पानी के साथ अच्छी तरह मिक्स कर लें |
फसल की बुआई के 15 दिन के पश्चात मटका खाद का इस्तेमाल खेत कर सकते है और हर 20 दिन के बाद पश्चात दोबारा मटका खाद का इस्तेमाल खेत में कर सकते हैं |

इसके तैयार होने के पश्चात नीचे दी गई विधियों के द्वारा अपने खेत में मटका खाद का प्रयोग कर सकते हैं |
- ड्रिप इरिगेशन विधि– मटका खाद (matka khad)को ड्रिप इरिगेशन में प्रयोग करने के लिए खाद सामग्री को 200 लीटर पानी अच्छी तरह मिक्स कर लें फिर उस सामग्री को दोहरे कपड़े से दो बार छानने ( फ़िल्टर )के पश्चात तरल पदार्थ को ड्रिप इरिगेशन के माध्यम से प्रयोग में ला सकते हैं |
- पाइप या डिब्बे के माध्यम से– मटका खाद् के मिश्रण को लगभग 500 से 700 लीटर पानी में मिक्स कर ले और छोटे पंप में पाइप लगाकर पौधों की जड़ो में खाद डाले | डब्बे की सहायता से भी हर एक पौधों की जड़ों में मटका खाद डाल सकते है |
- सामान्य सिंचाई (flood irrigation)– इस विधि में मटका खाद (matka khad)में लगभग 1000 लीटर पानी मिक्स किया जाता है और ट्यूबल के पानी के बहाव में उस मिश्रण को छोड़ दिया जाता है जो पूरे खेत में फैल जाता है |
- स्प्रे पंप की सहायता से – मटका खाद्य सामग्री को 200 से 300 लेटर लीटर पानी में मिक्स कर लें और उसके बाद स्प्रे पंप टंकी में आवश्यकतानुसार डाल ले | स्प्रे पंप से पौधों की जड़ों में सामग्री को ड्रेंच कर दें | ऐसा करते समय स्प्रे पंप का नोजल के आगे लगने वाला स्प्रे खोल दें ताकि सामग्री आसानी से ड्रेंच हो जाए |

मटका खाद बनाते समय क्या क्या सावधानी रखें: –
- मटका खाद के लिए गोबर और गोमूत्र देसी गाय का होना चाहिए |
- मटका खाद के लिए गोबर 24 घंटे से पुराना नहीं होना चाहिए |
- मटका खाद के बर्तन को सदैव छाया में रखना चाहिए |
- मटका खाद के बर्तन को एयरटाइट नहीं करना |
- इस खाद को 5 से 7 दिन के अंदर खेत में इस्तेमाल कर लेना चाहिए |
- मटका खाद के उपयोग से पहले खेत में नमी होनी चाहिये |
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मटका खाद बनाने की विधि: लोगो के द्वारा पुछे जाने वाले प्रश्न
मिट्टी में खाद के उपयोग से क्या लाभ होता है?
खाद मिट्टी को पोषण प्रदान करती है और पौधों की वृद्धि को बढ़ावा देती है, जिससे उपज बेहतर होती है।
सबसे अच्छी खाद कौन है?
जैविक खाद, जैसे की गोबर, खाद्य अपशिष्ट, और वर्मीकम्पोस्ट, मिट्टी के लिए सबसे अच्छी खाद मानी जाती है।
मटका खाद के फायदे
मटका खाद से खेतों में मिट्टी की बेहतरीन गुणवत्ता और जलसंचार में सुधार होता है, जिससे पौधों की वृद्धि में सुधार होता है।
जैविक खेती का महत्व और लाभ क्या है?
जैविक खेती खेतों के लिए स्वास्थ्यकर और पर्यावरण को हानि नहीं पहुँचाने वाला तरीका है, जिससे उपज में वृद्धि होती है और पोषण की गुणवत्ता बढ़ती है।

Jevic kheti sabse badiya he sabko kari sahiye