प्रमुख खाद/ उर्वरक की सम्पूर्ण जानकारी उनके फायदे

नमस्कार किसान भाइयो आज हम जानेगे कुछ प्रमुख खाद/ उर्वरक और उनके फायदे | खाद को फसल में किस स्टेज पर कितनी मात्रा में उपयोग करने से अच्छे परिणाम प्राप्त होंगे …………..आइए जाने.

 17:44:00 खाद 

इसे (17:44:00)यूरिया फास्फेट भी कहते है सभी फसलों के लिए उपयुक्त हैं और पौधों की जड़ों के फुटाव ,जमाव व बढ़वार में योगदान, अधिक फूल व फल में वृद्धि तथा गुणवत्ता युक्त पैदावार में वृद्धि

उपयोग और खुराक-

  • 17:44:00 खाद का उपयोग ड्रिप इरिगेशन और फोलियर स्प्रे द्वारा किया जा सकता है।
  • 0.5%-1% सांद्रण घोल तैयार कर 15 दिन के अंतराल पर फसल अवस्था (30-45 दिन) के अनुसार 1-2 बार छिड़काव करें।
  • एक बार के छिड़काव में 1 एकड़ क्षेत्र के लिए 5 से 2 किलोग्राम की आवश्यकता होती है। ड्रिप सिंचाई में फसल की मांग के अनुसार प्रयोग करें।

19:19:19 खाद  

यह उर्वरक (19:19:19:) पौधे के विकास के सभी चरणों में और वानस्पतिक विकास के कायाकल्प के लिए उपयोग हो सकता है। फसल की शुरुआती स्टेज में पोधों की जोरदार वृद्धि और वानस्पतिक ग्रोथ के लिए 19:19:19 खाद बहुत जरुरी है | इसके इलावा इस खाद को सभी पेस्टिसाइड के साथ मिलाया जा सकता है।

उपयोग और खुराक-

  • इसका उपयोग ड्रिप सिंचाई विधि, पत्तेदार स्प्रे विधि दोनों द्वारा किया जा सकता है।
  • ड्रिप सिंचाई पद्धति के माध्यम से उर्वरक की अनुशंसित खुराक लगभग 1.5 से 2 ग्राम एनपीके प्रति लीटर पानी के साथ फसल और मिट्टी के प्रकार को देखते हुए मिश्रित होनी चाहिए।
  • पत्तेदार छिड़काव विधि द्वारा उर्वरक देते समय एन.पी.के. (19:19:19) फसल बोने के 30-40 दिन बाद फूल आने से पहले तक 0.5-1.0% के अनुपात में 2-3 बार 10-15 दिन के अंतराल पर प्रयोग करना चाहिए।
  • 19:19:19 खाद का उपयोग अंगूर, अनार, केला, कपास, टमाटर, प्याज, गन्ना, अदरक, हल्दी, तरबूज, फूलों की खेती और संरक्षित खेती में कर सकते है |

12:61:00 खाद 

इसमें दो मुख्या पोषक तत्व होते हैं – नाइट्रोजन (12%) और फॉस्फोरस (61%)। पौधों और फसलों में नाइट्रोजन और फास्फोरस की कमी के लिए आदर्श। 12:61:00 खाद को  मोनो अमोनियम फास्फेट कहा जाता हैं। इसका प्रयोग जड़ो के विकास और अधिक फुटाव के लिए किया जाता हैं। इसके साथ साथ फूलों की वृद्धि और प्रजनन के लिए किया जाता हैं।

उपयोग और खुराक-

  • ड्रिप सिंचाई या स्प्रे के साथ उपयोग के लिए आदर्श।
  • 5 ग्राम प्रति लीटर पानी। 200 लीटर पानी में 1 किग्रा प्रति एकड़। ड्रिप में उपयोग  करे |
  • 12:61:00 खाद का उपयोग सभी सब्जियों और फलों की फसलें, सभी फूल वाले पौधे में कर सकते है ।

0:52:34 खाद 

0:52:34 खाद को वानस्पतिक ग्रोथ को कम करने के लिए तथा फूलों और फलों की संख्या बढ़ाने के लिए इस खाद का उपयोग किया जाता है | इसके इलावा 0:52:34 खाद फलों का आकार बढ़ाने में भी साहयक हैं।

उपयोग और खुराक-

  • 0:52:34 खाद को ड्रिप फर्टिगेशन या  स्प्रे के लिए इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है।
  • ड्रिप फर्टिगेशन / स्प्रे द्वारा 5 ग्राम प्रति लीटर पानी का छिड़काव करें।
  • 0:52:34 खाद को सभी कीटनाशकों और कवकनाशकों के साथ मिलाया जा सकता है।

13:0:45 खाद 

 इस उर्वरक को पोटेशियम नाइट्रेट कहा जाता है। इसमें नाइट्रोजन कम और पानी में घुलनशील पोटेशियम की मात्रा अधिक होती है।  यह उर्वरक फूल आने के बाद और फसल पकने तक की अवस्था में आवश्यक है। जब बीस-तीस प्रतिशत फल बनना शुरू हो जाएं तब इसका प्रयोग जबरदस्त रिजल्ट देता हैं। 13:0:45 खाद सूखा, पाला के प्रति प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करता है। यह खाद फसल की बढ़वार और फलों के अधिक वजन पाने के लिए लिये उपयोगी है ।

उपयोग और खुराक

  • ड्रिप सिंचाई – फसल के अनुसार
  • पर्णीय छिड्काव- 1.0 – 1.5 % (10-15 gm/litre पानी में)
  • एक स्प्रे फ़सल की 60-70 दिन की अवस्था पर

 00:00:50 खाद 

 इसको हम पोटेशियम सल्फेट कहते हैं। फलों की गुणवत्ता और वजन में सुधार के लिए किया जाता हैं। इसका प्रयोग हम फसल की आखरी अवस्था में करते हैं।

 00:00:50 खाद फसलों को 50% पोटाश और 17% सल्फर प्रदान करता है।

उपयोग और खुराक

ड्रिप फर्टिगेशन या फोलियर स्प्रे के लिए उपयोग करने की सिफारिश की गई है।  ड्रिप फर्टिगेशन/स्प्रे द्वारा प्रति लीटर पानी की खुराक 5जीएमएस करें। 

कैल्शियम नाइट्रेट :-

इस उर्वरक का उपयोग जड़ वृद्धि के साथ-साथ जबरदस्त वानस्पतिक विकास के लिए किया जाता हैं खासकर बेल वाली फसलों में। कैल्शियम नाइट्रेट पौधों में नयी शाखाओं का बनना व फूल व फलों को बनाने में व फल को झड़ने से रोकने में सहायक होता है।

कैल्शियम नाइट्रेट पानी में घुलनशील उर्वरक, कैल्सियम 18.80%, नाइट्रोजन 15.50% होता है | यह खाद 100% घुलनशील होने के कारण, पौधे कैल्शियम और नाइट्रोजन को आसानी से ग्रहण कर सकते हैं।

उपयोग और खुराक

मात्रा : 5 ग्राम प्रति लीटर पानी
आवेदन की विधि: ड्रिप या स्प्रे द्वारा

जिंक सल्फेट

पौधे में जिंक की कमी होने पर अन्य पोषक तत्वों की उपलब्धता/ पोषक तत्व ग्रहण करने की क्षमता में कमी हो जाती हैं और फसलों की पैदावार में बढ़ोतरी तथा दूसरे पोषक तत्वों की उपलब्धता को बढ़ाता है मिट्टी को स्वस्थ तथा प्रकाश संश्लेषण को बढ़ाता है धान की फसल में खैरा रोग जिंक की कमी से आता हैं जिसमे पौधा ग्रोथ नही करता

वजन के हिसाब से 33% जिंक (Zn)   और 15% सल्फेट सल्फर (S)

उपयोग और खुराक

  • बेसल आवेदन: – या तो बुवाई के समय प्रसारण के माध्यम से या
  • खड़ी फसल में 45 दिन तक टाप ड्रेसिंग द्वारा।
  • फसल, मिट्टी आदि के आधार पर 8-10 किलोग्राम  / एकड़।
  • स्प्रे  : प्रति लीटर पानी में 2-3 ग्राम जिंक सल्फेट + 2.5 ग्राम चूना (या 10 ग्राम यूरिया) का उपयोग कर सकते हैं, यह मानते हुए कि 1 हेक्टेयर के लिए 500 लीटर पानी की आवश्यकता होती है।
  • आवश्यकता के अनुसार 8-10 दिन के अंतराल पर दोबारा छिड़काव करें।

सागरिका

सागरिका एक समुद्री उत्पाद है जो फसल की उत्पादकता को बढ़ाता है। इसे भारत के दक्षिण-पूर्वी तटों पर समुद्री जल में उगने वाले लाल और भूरे रंग के शैवाल (Kappaphycus alvarezii) से प्राप्त किया जाता है। सागरिका एक जैविक उत्पाद है जो पौध वृद्धि प्रोत्साहक है क्योंकि इसमें पौध विकास हार्मोन्स जैसे के ऑक्सीन्स, सायटोकिनिंस, जिबरैलिन्स आदि पाए जाते हैं।

  • सागरिका उपापचय वर्द्धि कारक है जो फसल की बढोत और विकास में मदद करता है।
  • सागरिका, फसल की पैदावार को बढ़ाता है एवं पौधों को सम्पूर्ण पोषक तत्व प्रदान करता है जिसके परिणामस्वरूप पौधों की बढ़वार, जड़, तने, कल्ले, फल और फूलों आदि में वर्द्धि होती है 
  • सागरिका, फसल की शारीरिक दक्षता को बढ़ाता है, जिससे पौधे मिट्टी से अधिक पोषक तत्वों का अवशोषण करते हैं।
  • सागरिका, उपज की गुणवत्ता को बढ़ाता है, यह फल का आकर, रंग एवं स्वाद की गुणवत्ता में वर्द्धि करता है।
  • सागरिका, फसल की विभिन्न प्रकार के तनाव जैसे रोग, कीट आदि के प्रति प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।

उपयोग और खुराक

  • फसल की अवस्था के अनुसार 250 मिलीलीटर सागरिका प्रति एकड़ वा 2.5 – 5.0 मिलीलीटर सागरिका एक लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।
  • सुबह के समय छिड़काव करें जब ओस की बुंदे न हों।
  • पहला छिड़काव – पौधों की रोपाई/ कल्ले निकलते के समय, दूसरा छिड़काव – फूल आने से पहले, तीसरे छिड़काव – फूल आने के बाद

नैनो यूरिया 

यह उन सभी फसलों के लिये उपयोगी है, जिनके लिये नाइट्रोजन की आवश्यकता होती है। चूंकि नाइट्रोजन सभी फसलों के लिये आवश्यक है, अतः यह भी सभी फसलों के लिये उपयोगी है। जो की फसल की रूकी हुई वृद्धि को बढ़ता है, नाइट्रोजन उपयोग क्षमता बढ़ाता है।

  • नैनो यूरिया फसल की पैदावार को प्रभावित किए बिना यूरिया व अन्य नाइट्रोजन युक्त उर्वरकों की बचत करता हैं। 
  • नैनो यूरिया की एक बोतल (500 मिलीलीटर) एक बैग यूरिया (45 किलोग्राम) के बराबर हैं।
  • फसल उत्पादकता में वृद्धि करता हैं 

उपयोग और खुराक

  • प्रति लीटर पानी में 2-4 मिली नैनो यूरिया मिलाएं और फसल के सक्रिय विकास चरणों में पत्तों पर स्प्रे करें।
  • सर्वोत्तम परिणामों के लिए 2 स्प्रे करें* –
    • पहला छिड़काव-कल्ले निकलते समय/ शाखाएं बनते समय (अंकुरण के 30-35 दिन बाद या रोपाई के 20-25 दिन बाद)
    • दूसरा छिड़काव पहले छिड़काव के 20-25 दिन बाद या फसल में फूल आने से पहले करें।
  • नोट- अगर आप नैनो यूरिया का इस्तेमाल फसल में करना चाहते हैं तो फसल बुवाई के समय बेसल डोज में डीएपी या एनपीके उर्वरक के माध्यम से दिए जाने वाली नाइट्रोजन का इस्तेमाल जरूर करें। केवल फसल के विकास के दौरान 2-3 भागों में टॉप ड्रेसिंग (छिट्टा) किए जाने वाले यूरिया को कम करें। फसल और उसकी नाइट्रोजन की आवश्यकता के आधार पर नैनो यूरिया की स्प्रे संख्या को बढ़ाया जा सकता है।

इस्तेमाल के निर्देश

  1. उपयोग करने से पहले बोतल को अच्छी तरह हिलाएं
  2. पत्तियों पर छिड़काव के लिए फ्लैट फैन या कट वाले नोजल का ही प्रयोग करें।
  3. ओस से बचने के लिए सुबह या शाम के समय स्प्रे करें।
  4. यदि नैनो यूरिया के छिड़काव के 12 घंटे के भीतर बारिश होती है, तो स्प्रे को दोबारा करने की सलाह दी जाती है।

ह्यूमिक एसिड

प्रमुख खाद/ उर्वरक और उनके फायदे

इसका सबसे महत्वपूर्ण काम ये है कि ये मिट्टी को भुरभुरी करता है, जिससे जड़ों का विकास अधिक होता है। ह्यूमिक एसिड प्रकाश संश्लेषण की क्रिया को तेज करता है, जिससे पौधे में हरापन आता है और शाखाओं में वृद्धि होती है। ये पौधे की तृतीयक जड़ों का विकास करता है जिससे की जर्मी से पोषक तत्वों का अवशोषण अधिक हो सके।

  • पौधे में फलों और फूलों की वृद्धि करता है।
  • मिट्टी की उर्वरा शक्ति में वृद्धि करता है।
  • पौधे की चयापचयी क्रियाओं में वृद्धि करता है।
  • उपज में भी वृद्धि होती
    है।   

उपयोग और खुराक

ह्यूमिक एसिड को 30 से 50 ग्राम प्रति एकड़ फोलियर ऐप्लीकेशन के माध्यम से.

बागवानी फसल: 2 से 3 gms प्रति लीटर पानी. सीधे सूर्य की रोशनी में स्प्रे न करें.

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