वर्मीकम्पोस्ट क्या है? और इसे घर पर कैसे तैयार करें ?

मुख्यतः केंचुए द्वारा तैयार की गई खाद को vermicompost  (वर्मीकंपोस्ट) कहा जाता हैं | आइए इसे विस्तार से समझते हैं- केंचुआ भोजन के रूप में गोबर व अन्य कार्बनिक पदार्थों को ग्रहण करते हैं और उसमें से पोस्टिक तत्व को अपने अंदर पचाते हैं |

बाकी बचे हुए पदार्थों को मल के रूप में त्याग देता है जिसे हम वर्मी कंपोस्ट कहते हैं | केंचुआ खाद या वर्मीकम्पोस्ट (Vermicompost) पोषण पदार्थों से भरपूर एक उत्तम जैव उर्वरक है | गोबर की खाद जो 2 से 3 साल में बनती है उसी खाद को केंचुआ केवल 25 से 30 दिन में तैयार कर देता है |

इसके अलावा केंचुआ द्वारा बनाई गई खाद में पोषक तत्व जैसे नाइट्रोजन, फास्फोरस इत्यादि भी गोबर खाद के मुकाबले में 3 से 4 गुना अधिक होती हैं

वर्मीकंपोस्ट यूनिट लगाने के लिए सब्सिडी (subsidy for vermicompost unit)

राज्य सरकारे किसानों को वर्मीकंपोस्ट यूनिट  लगाने के लिए अनुदान ( subsidy for vermicompost  unit) प्रदान कर रही हैं | इसके लिए आपको अपने नजदीकी कृषि विभाग अधिकारी से मिलना होगा |

वर्मीकंपोस्ट यूनिट लगाने के लिए ₹9000 से ₹10000  तक की सब्सिडी प्रदान की जा रही है (subsidy for
vermicompost)
 जिसे प्राप्त करके किसान वर्मीकंपोस्ट का छोटा यूनिट लगा सकता हैं | अगर कोई किसान वर्मीकंपोस्ट का बड़ा यूनिट लगाना चाहता है तो उसके के लिए आपको कृषि अधिकारी से ही मिलना पड़ेगा |

बड़ा यूनिट लगाने के लिए जो कुल खर्च आता है उसका लगभग 30 % से 40% तक राज्य सरकार की तरफ से सब्सिडी मिल सकती है | लेकिन यह हर राज्य में अलग-अलग प्रावधान से सब्सिडी प्रदान की जाती है |

वर्मीकंपोस्ट कैसे बना कैसे बनाएं (how to make
vermicompost)?

जिस जगह पर भी हम वर्मीकंपोस्ट (make vermicompost) बनाने जा रहे हैं वह सामान्य क्षेत्र से 2 से 3 इंच की ऊंचाई अधिक होनी चाहिए ताकि आसपास के पानी के भराव से हमारा कंपोस्ट खराब ना हो और वर्मीकंपोस्ट (vermicompost)
में अगर अधिक नमी है तो वह नमी आसानी से बाहर निकल जाएगी |

सबसे पहले प्लास्टिक शीट बिछाए | शीट के ऊपर बचा हुआ हरा चारा या पेड़ पौधों की पत्तियां 3 से 4 इंच मोटी परत बिछाए और उसके ऊपर पानी का छिड़काव करें ताकि उनमें नमी बनी रहे |

उसके ऊपर 1 परत गोबर की बिछाए जोकि 4 से 5 इंच मोटी हो | गोबर में मिट्टी या रेत भी मिला कर प्रयोग कर सकते हैं जिसका अनुपात 90:10 या 80:20 रह सकता है | इसमें 90%-80% गोबर और 10%-20% मिट्टी या रेत ले सकते हैं | इसके बाद उसके ऊपर पानी का छिड़काव करें [वर्मीकम्पोस्ट क्या है? और इसे घर पर कैसे तैयार करें]|

इसके बाद केंचुओ को लेकर गोबर के ऊपर परत बना दें व केंचुओ को बेड के ऊपर अच्छी तरह से फैला दें | बेड सेट करने के बाद उसके ऊपर पानी का छिड़काव कर दें ताकि आवश्यक नमी बनी रहे | केंचुऐ बिछाने के बाद उसके ऊपर से 3 से 4 इंच मोटी एक गोबर की परत और लगा देंगे|

आखिर में बेड को धान की पराली या घास फूस इत्यादि की 3 से 4 इंच मोटी परत से उसे ढक दे [वर्मीकम्पोस्ट क्या है? और इसे घर पर कैसे तैयार करें]|

बेड बनने के बाद पहले 2 दिन सूरज की रोशनी में ऐसे ही रहने दे और बेड के उपर पानी भी ना डालें,  जिससे सूरज की रोशनी व नमी की कमी के कारण केंचुऐ बेड के अंदर तक चले जाएंगे |

1 किलो केंचुऐ लगभग 1 दिन में अपने वजन के बराबर कंपोस्ट तैयार करता है | मतलब वर्मीकंपोस्ट  (vermicompost) भी 1KG  ही तैयार होगा |

केंचुए कितने प्रकार के होते हैं?

केंचुए मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं |

  1. एक जो गहरी सुरंग बनाकर रहने वाले केंचुए :- इसकी लंबाई 8 से 10 इंच तक होती है और यह लगभग 7 से 10 फीट तक की गहराई में सुरंग बनाकर रहते हैं | इस तरह के केंचुए अपने भोजन में 90% मिट्टी या रेत खाते हैं और 10% कार्बनिक पदार्थ खाते हैं |
  2. सतह पर रहने वाले केंचुए :- इस प्रकार के केंचुए मुख्यतः सतह से लगभग 1.5 फीट तक की गहराई रहते हैं और इनकी लंबाई 4 से 6 इंच तक होती है | इस तरह के केंचुए अपने भोजन में 90% कार्बनिक पदार्थ और 10% मिट्टी या रेत खाते हैं |

वर्मी कंपोस्ट बनाने के लिए इसी तरह के केंचुओ का प्रयोग किया जाता है | केंचुए 30 से 40 डिग्री के तापमान तक जिंदा रह सकते हैं लेकिन अगर मौसम 25 से 32 डिग्री के बीच में रहेगा और नमी कंपोस्ट बेड की नमी 50-60% हो तब केंचुआ अधिक क्रियाशील रहते हैं

वर्मीकम्पोस्ट की किस्में (type of vermicompost): –

वैसे तो के केंचुओ की हजारों प्रजातियां हैं लेकिन इसमें से कुछ चुनिंदा प्रजातियां ही वर्मीकंपोस्ट (type of
vermicompost) के लिए उपयोगी होती है |

1. आइसीनिया फोटिडा
2. यूडिलस यूजिनी

आइसीनिया फोटिडा को रेड वर्म भी कहते हैं। उत्तर भारत में ज्यादातर इसे ही पाला जाता है। इसकी उत्पादन क्षमता काफी अधिक तथा रख-रखाव आसान होता है।

यूडिलस यूजिनी का उपयोग दक्षिण भारत में ज्यादा होता है। कम तापमान के साथ-साथ यह उच्च तापमान भी सहन कर सकता है ।

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वर्मीकंपोस्ट बनाते समय क्याक्या सावधानियां रखें?

  • बेड को हमेशा छाया में रखना चाहिए | क्योंकि केंचुए की आंखें नहीं होती हैं लेकिन वह सूरज की रोशनी के प्रति काफी संवेदनशील होते हैं |
  • कंपोस्ट बनाते समय एकदम ताजे गोबर का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए |
  • गोबर 4 से 6  दिन पुराना होना चाहिए और उसकी गर्मी निकाली गई होनी चाहिए |
  • गोबर के साथ जो भी कार्बनिक पदार्थ (पेड़-पौधे के पत्ते) हम मिक्स कर रहे हैं, वह 10 % से 15%  से ज्यादा नहीं होना चाहिए |
  • देर से नष्ट होने वाले पदार्थों का कंपोस्ट के साथ मिश्रण नहीं करना चाहिए अन्यथा आपकी कंपोस्ट तैयार होने में समय लग सकता है |
  • कंपोस्ट के बेड को हमेशा घास फूस या धान की पराली से ढक कर रखना चाहिए | ढकने के लिए हम जूट की बोरी का भी प्रयोग कर सकते हैं |
  • वर्मी कंपोस्ट बनाते समय गर्मियों के मौसम में बेड के ऊपर सुबह-शाम दो बार पानी डालें और सर्दियों में नमी के हिसाब से दिन में एक बार पानी डालें [वर्मीकम्पोस्ट क्या है? और इसे घर पर कैसे तैयार करें]|
  • बेड का तापमान अधिकतम 40 डिग्री से अधिक ना हो वह कम से कम 0 डिग्री से कम ना हो | अन्यथा केंचुए मर जाते हैं |
  • बैड तैयार करते समय हर एक परत के ऊपर पानी जरूर डालें ताकि उसमें आवश्यक नमी बनी रहे |
  • केंचुऐ को मेंढक, चूहा कुत्ते, बिल्ली, नेवला, गिलहरी व गिरगिट आदि से बचा के रखना चाहिए | ये जीव केंचुओ को खाते हैं व बेड को नुक्सान पंहुचा सकते है |
  • वर्मी कंपोस्ट के बेड की ऊंचाई गर्मियों के मौसम में 1 फीट वह सर्दियों के मौसम से 1.5 से 2 फीट से अधिक ना हो व चौड़ाई 3 से 4 फीट तक रख सकते हैं |
  • हर सप्ताह बेड को एक बार हाथ से पलट देना चाहिए ताकि बेड में वायु का संचार हो और गोबर में गर्मी न बढ़ने पाये|

वर्मीकंपोस्ट (vermicompost) के लिए क्याक्या सामग्री चाहिए?

  1. वर्मीकंपोस्ट (vermicompost) बनाने के लिए प्लास्टिक की सीट चाहिए ताकि उसे बेड के नीचे बिछाया जा सके |
  2. वर्मीकंपोस्ट (vermicompost) बनाने के लिए सबसे जरूरी चीज है गोबर जो 4 से 6 दिन पुराना होना चाहिए |
  3. केंचुआ खाद के लिए समय-समय पर पानी का प्रयोग करना चाहिए ताकि गोबर मैं गर्मी ज्यादा ना हो और पानी साफ होना चाहिए |
  4. पेड़ पौधों के पत्ते व धान की पराली या केले के पत्ते [वर्मीकम्पोस्ट क्या है? और इसे घर पर कैसे तैयार करें]|

वर्मीकंपोस्ट (vermicompost) के क्याक्या फायदे हैं?

  1. वर्मीकंपोस्ट (vermicompost) की ऊपरी सतह पर पैराट्रापिक नामक पदार्थ की झिल्ली होती है जिसके कारण वाष्पीकरण की प्रक्रिया कम हो जाती है | जिसके फलस्वरूप हमें फसलों में जहां चार से पांच बार पानी देने की जरूरत पड़ती है लेकिन वर्मी कंपोस्ट को खेत में प्रयोग करने से दो से तीन बार पानी से पूर्ति हो जाएगी |
  2. वर्मीकंपोस्ट फसलों के लिए एंटीबायोटिक का काम करती है जिससे फसलों में कम बीमारी आती हैं |
  3. इसका प्रयोग साधारण गोबर से 4 गुना तक कम करना पड़ता है लेकिन पैदावार तभी बेहतर होती है |
  4. इसके उपयोग से मिट्टी में फायदेमंद सूक्ष्म जीवों की संख्या बढ़ जाती है |
  5. इसके प्रयोग से मिट्टी का कार्बन लेवल बेहतर हो जाता है |

पोषक तत्व

साधारण गोबर %

वर्मीकंपोस्ट
%

नाइट्रोजन

0 .75

2.1

फास्फोरस

0.05

1.5

पोटाश

1

1.03

सल्फर

1

0.04

कैल्शियम

……

1.5 PPM

मैग्नीशियम

……

1.5 PPM

बोरान

……

2.34

जिंक

……

10.6

आयरन

……

4.65

कॉपर

2.33

……

मैंगनीज

……

0.21

केंचुए कहां से प्राप्त करें ?

अगर कोई भी वर्मीकंपोस्ट (vermicompost) बनाना चाहता है तो सबसे पहले उसे केंचुए चाहिए | केंचुए के लिए अपने नजदीकी कृषि विभाग से संपर्क कर सकते हैं | यह विभाग किसानों को 5 किलो से 10 किलो तक के केंचुए फ्री में प्रदान करते हैं |

दूसरा आप अपने आसपास वर्मीकंपोस्ट (vermicompost) बनाने वाले किसी भी किसान से मिल सकते हैं और उनसे भी केंचुए खरीद सकते हैं यह मुख्यतः ₹300 से ₹500 किलो के हिसाब से मिलते हैं |

भारतवर्ष के अलावा पूरे विश्व में आज रसायनिक उर्वरकों के कारण मिट्टी की उर्वरक शक्ति कम होती जा रही है | जिसके कारण फसलों पर कुप्रभाव पड़ रहा हैं | हम जानते हैं कि उर्वरकों के प्रयोग से हमें फसल ज्यादा प्राप्त हो जाती है लेकिन जो रसायन हम अपनी फसलों पर प्रयोग किए हैं उनका प्रभाव उसके अनाज पर भी होता हैं |

ऐसे फसलों का भोजन खाने से हमारे शरीर में बीमारियां जैसे कैंसर, सांस की प्रॉब्लम, बालों का उम्र से पहले सफेद होना इत्यादि, उत्पन्न हो जाती हैं |

My opinion……………..

मेरी राय में तो हम सभी किसान भाइयों को वर्मीकंपोस्ट (vermicompost) जरूर उपयोग करना चाहिए | क्योंकि ऊपर दी गई तालिका में साधारण गोबर और वर्मीकंपोस्ट (vermicompost) के पोषक तत्वों की जानकारी प्राप्त की थी |

जिसको देखकर हम इस नतीजे पर पहुंच सकते हैं कि वर्मीकंपोस्ट (vermicompost) साधारण गोबर से बेहतर तो है ही उसमें पोषक तत्व भी साधारण गोबर से ज्यादा हैं | वर्मीकंपोस्ट साधारण गोबर से 4% से 5% कम प्रयोग होता है और इसको बनाना भी कोई बहुत मुश्किल काम नहीं है |

एक छोटी सी ट्रेनिंग के साथ या कुछ साधारण जानकारियों के साथ कोई भी किसान अपने खेत में कंपोस्ट तैयार कर सकते हैं इसके तैयार करने में सरकार भी किसानों को अनुदान के रूप में सब्सिडी प्रदान करती हैं |

वर्मीकंपोस्ट (vermicompost) लोगो के द्वारा पुछे जाने वाले प्रश्न

वर्मी कंपोस्ट कितने रुपए किलो है?

र्मी कंपोस्ट की कीमत क्षेत्र और बाजार की मांग पर निर्भर करती है, लेकिन आमतौर पर इसकी मूल्य किलोग्राम प्रति 10-20 रुपए के आस-पास होती है।

वर्मी कम्पोस्ट से क्या लाभ है?

वर्मी कम्पोस्ट बेहतर ज़मीन स्वास्थ्य, फसलों की उत्पादकता में वृद्धि, और प्रदूषण कम करने में मदद करता है।

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