जीरा की खेती कब और कैसे करें: भारत में जीरा की खेती प्रमुख रूप से पश्चिमी राजस्थान और गुजरात राज्यों में की जाती है। ये क्षेत्र जीरा की वृद्धि की आवश्यकताओं को अच्छी तरह से सुनिश्चित करने वाली खाद्य-जलवायु शर्तों को प्रदान करते हैं, जैसे कि अच्छे निकासी वाली रेतीलूमृद्ध सूखी मिट्टी और आधारिक आर्द्रता वाला जलवायु।
राजस्थान, विशेष रूप से जोधपुर, बाड़मेर, और बीकानेर जैसे जिलों में, एक प्रमुख जीरा उत्पादक राज्य है,
जो भारत के जीरे के उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। गुजरात, विशेष रूप से बनासकांठा, पाटन, और मेहसाणा जैसे जिलों में, एक और महत्वपूर्ण जीरा उत्पादन क्षेत्र है। इन राज्यों में जीरे की खेती का आवश्यक अंश है, जो न केवल देशी बल्कि विश्व भर की मांग को पूरा करता है।
हालांकि, किसी विशेष स्थान पर जीरे की खेती करने से पहले उस स्थान की मिट्टी की उपयुक्तता, जलवायु स्थितियाँ, और बाजार की मांग को ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है [जीरा की खेती कब और कैसे करें]।
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जीरा की खेती कब और कैसे करें
भारत में जीरा की खेती आमतौर पर रबी मौसम के दौरान की जाती है, जो अक्टूबर से दिसंबर के बीच होता है। यह महत्वपूर्ण है कि जीरे के बीजों को मॉनसून के बाद बोए जाए, जब मिट्टी को पर्याप्त नमी प्राप्त हो चुकी है। जीरे की खेती का समय स्थानीय क्षेत्र और स्थानीय मौसम की शर्तों के आधार पर थोड़ी सी भिन्नता हो सकती है,
लेकिन आमतौर पर रबी मौसम की शुरुआत को सफल जीरे की खेती के लिए एक उपयुक्त समयफ्रेम माना जा सकता है।

जीरा के बीज की विरायती या प्रकार
जब बात भारत में जीरा के बीज के प्रकारों की होती है, तो आपके पास कई विकल्प होते हैं। भारतीय मोसम के लिए उपयुक्त कुछ प्रमुख जीरा के बीज के प्रकार शामिल हैं:
- RCI-855: इसकी उच्च उत्पादन क्षमता और विभिन्न कृषि-जलवायु स्थितियों के लिए अनुकूलता के लिए जाना जाता है, RCI-855 भारत में एक व्यापक रूप से खेती किया जाने वाला जीरा प्रकार है।
- RZ-19: RZ-19 एक और पॉपुलर जीरा प्रकार है जिसमें अच्छी उत्पादन क्षमता और कुछ बीमारियों के प्रति प्रतिरक्षा होती है। यह अल्पकालिक अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में खेती के लिए उपयुक्त है।
- GC-4: GC-4 अच्छी मोसम के साथ जलवायु संकटों के प्रति प्रतिरक्षा के लिए जाना जाता है, जो बाढ़ या अनियमित बारिश के पैटर्न के लिए प्रयुक्त हो सकता है।
- GUJARAT CUMIN-1 (GC-1): इस विकल्प को उसकी उत्कृष्ट सुगंध और स्वाद के लिए जाना जाता है। यह मसाले के उद्देश्यों के लिए पसंद किया जाता है और गुजरात में उगाया जाता है।
- Vasundhara: वसुंधरा एक उच्च उत्पादन जीरा प्रकार है जिसमें अच्छी बीमारियों के प्रति प्रतिरक्षा है, इसे विभिन्न क्षेत्रों के लिए उपयुक्त माना जाता है।
- Swathi: स्वाथि जीरा प्रकार की बोल्ड बीज और विल्ट और ब्लाइट बीमारियों के प्रति प्रतिरक्षा के लिए जाना जाता है।
आपके खेती की विशेष स्थान, मिट्टी के प्रकार और स्थानीय जलवायु स्थितियों के आधार पर जीरे के बीज के प्रकार का चयन करना महत्वपूर्ण है। अपने स्थानीय कृषि विभाग या बीज आपूर्ति के साथ परामर्श करें ताकि आपके कृषि स्थितियों और बाजार पसंदों को ध्यान में रखकर सबसे अच्छा जीरा प्रकार चुन सकें।
जीरा की खेती कब और कैसे करें: इसके अलावा, चयन करते समय बीमारियों के प्रति प्रतिरक्षा, उत्पादन क्षमता, और बाजार की मांग जैसे कारकों को ध्यान में रखें। सही बीज का चयन एक सफल जीरा फसल के लिए महत्वपूर्ण है।
जीरा की खेती के लिए बीज कहा से ख़रीदे ?
आप जीरा की खेती के लिए बीज को विभिन्न स्त्रोतों से खरीद सकते हैं। स्थानीय कृषि आपूर्ति स्टोर, सरकारी बीज बैंक, और आपके क्षेत्र में कृषि सहकारिता आमतौर पर जीरा के बीज की आपूर्ति करते हैं। इसके अलावा, आप ऑनलाइन बीज आपूर्ति और कृषि ई-कॉमर्स प्लेटफार्म ( amazon या Flipkart ) खोज कर सकते हैं |
जो विभिन्न जीरा के बीज प्रकारों की विस्तारित विकल्प प्रदान करते हैं। जीरे के बीज खरीदते समय सुनिश्चित करें कि वे अच्छी गुणवत्ता के हैं, बीमारियों से मुक्त हैं, और पसंदनीयता के अनुसार कृषि अधिकारियों द्वारा प्रमाणित हैं। सफल जीरा फसल सुनिश्चित करने के लिए एक प्रमाणित और उच्च गुणवत्ता वाले बीज प्रदान करने के लिए प्रसिद्ध आपूर्तिकर्ता का चयन करना महत्वपूर्ण है [जीरा की खेती कब और कैसे करें]।
जीरा की खेती की शुरुआत के लिए खेत की तैयारी
मिट्टी की जाँच और सुधार
जीरा की खेती की शुरुआत के लिए सबसे पहले, खेत की मिट्टी का जाँच करें। सामान्यत: जीरे की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी यहाँ की जलवायु और जल संसाधनों के साथ अच्छी निकासी वाली लोम मिट्टी होती है। आपको मिट्टी के पीएच और कीट प्रबंधन के लिए आवश्यक कार्रवाई करनी चाहिए।
समय समय पर पीएच स्तर की माप करते रहें और उसे 6.5-7.5 के बीच का PH बनाए रखें। अगर मिट्टी में कोई कमी हो, तो आप उपयुक्त उर्वरकों का उपयोग करके उसे सुधार सकते हैं।
बीज के बोये जाने की तैयारी
बीज के बोये जाने की तैयारी जीरा की खेती के लिए महत्वपूर्ण होता है। सुनिश्चित करें कि आप उच्च गुणवत्ता वाले और मान्यता प्राप्त बीजों का चयन कर रहे हैं। बीजों को अच्छी तरह से सूखा दें और उन्हें उच्च गुणवत्ता वाली पैकेजिंग में संग्रहित करें। जीरे के बीजों को बोने जाने से पहले, उन्हें जल का पर्यापण सुनिश्चित करें,
ताकि उन्हें अच्छी तरह से भिगा सकें। जब खेत तैयार हो, तो बीजों को बोने जाने से पहले खेत की सफाई करें और एक बराबर की दूरी पर पंक्तियों में बोनें, जिनमें बीजों को समान रूप से बोना जा सके।
सिंचाई व खाद
जीरे की खेती के दौरान, जल संप्रेषण और पोषण का खास ध्यान रखना महत्वपूर्ण है। सुनिश्चित करें कि आप खेत को समय समय पर सिंचाई करते रहें, और सूखने के बाद फसल को आवश्यक खाद्य सामग्री से पूर्णत: पोषण प्रदान करें। पोषण के लिए आप जीरे की खेती के लिए योग्य उर्वरकों का उपयोग कर सकते हैं,
जैसे कि नाइट्रोजन, फॉस्फेट, और पोटाशियम। एक अच्छे संप्रेषण और पोषण की प्रक्रिया से उच्च उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है, जो आपके जीरे की फसल के सफल होने के लिए महत्वपूर्ण है।
जीरा की खेती के लिए खेत में खाद व उर्वरक कितना डाले?
बिल्कुल, जीरा की खेती के लिए खेत में गोबर खाद, माइक्रोन्यूट्रिएंट्स, और उर्वरकों के प्रकार दिए गए हैं:
प्रकार की जानकारी | मात्रा (प्रति एकड़) | आवेदन का समय |
---|---|---|
अच्छी तरह से तयार हुआ खाद | 5-8 टन | भूमि की तैयारी या खेत के जोतने से पहले |
खेती खाद (FYM) | 1-2 टन | भूमि की तैयारी या खेत के जोतने से पहले |
माइक्रोन्यूट्रिएंट मिक्स | जिंक (5 किलोग्राम), बोरॉन (2 किलोग्राम) | भूमि की तैयारी के दौरान मिश्रण करें |
नाइट्रोजन उर्वरक | 20-25 किलोग्राम (यूरिया) | बोने जाने के 2-3 हफ्ते बाद |
फॉस्फोरस उर्वरक | 15-20 किलोग्राम (सिंगल सुपरफॉस्फेट) | बोने जाने के समय या बेसल एप्लिकेशन के रूप में |
पोटाश उर्वरक | 10-15 किलोग्राम (म्यूरिएट ऑफ पोटाश) | बोने जाने के समय या बेसल एप्लिकेशन के रूप में |
इन उपयोगों को लागू करने से पहले, आपको अपनी मिट्टी की विशेषज्ञता को तय करने के लिए मिट्टी की जांच करनी चाहिए। स्थानीय सिफारिशों और अपनी मिट्टी के विशिष्ट पोषण आवश्यकताओं को जानने के लिए यह मात्राएँ समय समय पर समीक्षा करें और समय समय पर खेती के लिए संघटित करें। सही पोषण प्रबंधन, स्वस्थ जीरे के पौधों और सफल फसल के लिए महत्वपूर्ण है [जीरा की खेती कब और कैसे करें]।
जीरा की खेती के लिए पौधों से पौधों के बीच की दूरी:
जीरा की खेती के लिए, पौधों के बीच की सिफर आमतौर पर पंक्तियों में लगभग 10 से 15 सेंटीमीटर (4 से 6 इंच) की होती है। इस दूरी से जीरे के पौधों को बढ़ने और सही तरीके से विकसित होने के लिए पर्याप्त जगह मिलती है, साथ ही भूमि का उपयोग भी अधिक किया जा सकता है।
सही पौधों के बीच की दूरी से पोषण, पानी, और सूरज के लिए प्रतिस्पर्धा को रोकने में मदद मिलती है, जिससे स्वस्थ और उत्पादक जीरे के पौधे होते हैं।

जीरा की खेती के लिए फर्टिगेशन ( खाद ) सारणी
बिल्कुल, यहां जीरे पौधों के लिए फर्टिगेशन समय सारणी है, जिसमें उर्वरक, खाद, और माइक्रोन्यूट्रिएंट्स को जीरे के पौधों पर लगाने का समय दर्शाया गया है:
विकास का स्टेज | प्रकार का उर्वरक/खाद/माइक्रोन्यूट्रिएंट | मात्रा (प्रति एकड़) | आवेदन समय |
---|---|---|---|
भूमि की तैयारी | अच्छी तरह से घुसा हुआ खाद | 5-8 टन | भूमि की तैयारी या जोतने से पहले |
खेती खाद (FYM) | 1-2 टन | भूमि की तैयारी या जोतने से पहले | |
माइक्रोन्यूट्रिएंट मिक्स (जिंक, बोरॉन) | जिंक (5 किलोग्राम), बोरॉन (2 किलोग्राम) | भूमि की तैयारी के दौरान मिश्रण करें | |
बोने जाने का समय | नाइट्रोजन उर्वरक (यूरिया) | 20-25 किलोग्राम | जोतने के समय |
पौधों की प्रारंभिक विकास | फॉस्फोरस उर्वरक (सिंगल सुपरफॉस्फेट) | 15-20 किलोग्राम | जोतने के 4-6 हफ्ते बाद |
पोटाश उर्वरक (म्यूरिएट ऑफ पोटाश) | 10-15 किलोग्राम | जोतने के 4-6 हफ्ते बाद | |
पौधों की वृद्धि | नाइट्रोजन उर्वरक (यूरिया) | 20-25 किलोग्राम | जोतने के 8-10 हफ्ते बाद |
फूलों का समय | माइक्रोन्यूट्रिएंट मिक्स (जिंक, बोरॉन) | जिंक (5 किलोग्राम), बोरॉन (2 किलोग्राम) | फोलियर स्प्रे |
बीज विकास | फॉस्फोरस उर्वरक (सिंगल सुपरफॉस्फेट) | 15-20 किलोग्राम | फोलियर स्प्रे या भूमि की तरफ आवेदन |
कटाई | – | – | कोई आवेदन की आवश्यकता नहीं |
यह फर्टिगेशन समय सारणी जीरे के पौधों पर उर्वरक, खाद, और माइक्रोन्यूट्रिएंट्स का आवेदन करने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करती है, सही पोषण और उत्तराधिकारी फसल विकास सुनिश्चित करने के लिए। परिणामों के लिए मिट्टी की जांच के परिणाम और स्थानीय सिफारिशों के हिसाब से मात्राएँ समायोजित करें।
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जीरा की खेती में आने वाले रोगों के साथ-साथ दवाओं के नाम
यहां एक सारणी है जिसमें कुमीन की किस्मी रोगों के साथ-साथ दवाओं के नाम और एक छिड़काव समय-सारणी है:
रोग | दवा का नाम | लक्ष्य | समय |
---|---|---|---|
पाउडरी मिल्ड्यू (पाउदरी से पीलापन) | सल्फर-आधारित फंगाइसाइड | रोग नियंत्रण | संकेतों के पहले संकेतों पर, आवश्यकतानुसार बार-बार करें। लेबल के निर्देशों का पालन करें। |
डैम्पिंग-ऑफ (पौधों का धीरे-धीरे मर जाना) | मेटालेक्सिल या कैप्टन | रोग निवारण | पूर्व-बोने या पोस्ट-उद्भव के रूप में आवश्यकतानुसार। लेबल के निर्देशों का पालन करें। |
पत्तियों का स्पॉट | कॉपर-आधारित फंगाइसाइड | रोग नियंत्रण | संकेतों के पहले संकेतों पर, आवश्यकतानुसार बार-बार करें। लेबल के निर्देशों का पालन करें। |
फुसारियम विल्ट | कोई विशेष दवा नहीं | अच्छी फसल चक्र और मिट्टी स्वास्थ्य प्रबंधन। | निवारणात्मक माप्रयास। |
बैक्टीरियल ब्लाइट | कॉपर-आधारित बैक्टेरिसाइड | रोग नियंत्रण | संकेतों के पहले संकेतों पर, आवश्यकतानुसार बार-बार करें। लेबल के निर्देशों का पालन करें। |
कृपया ध्यान दें कि डिजीज को न्यंत्रण के लिए कुमीन के किस्मों में न्यंत्रण की आवश्यकता होती है, हालांकि डिजीज के सृजन को रोकने के लिए आमतौर पर अच्छे मिट्टी स्वास्थ्य, सही फसल चक्र, और डिजीज-प्रतिरोधी बीजों का उपयोग किया जाता है।
स्प्रे के प्रकारों की आवश्यकतानुसार समय और आवश्यकतानुसार विभिन्न हो सकता है। हर एक स्प्रे के लिए लेबल के निर्देशों का पालन करें और क्षेत्रीय सिफारिशों के लिए स्थानीय कृषि विशेषज्ञों से परामर्श लेने का विचार करें।

जीरे की फसल को कितने दिनों में काट सकते हैं?
कुमीन की फसल को काटने का सही समय फसल के विकास की स्थिति पर निर्भर करता है। सामान्यत: कुमीन की फसल को काटने के लिए 120 से 150 दिन की आवश्यकता होती है, जब यह पूरी तरह से प्राकृतिक रूप से पूका हो जाता है और बीजें तन करने लगती हैं।
फसल के विकास की गणना फसल के पौधों के पूरी तरह से सुखने के बाद की जाती है, और यह समय क्षेत्र की जलवायु और वार्षिकता के हिसाब से भिन्न हो सकता है, इसलिए स्थानीय शरणियों के साथ सलाह लें।

जीरा की खेती से कमाई
जीरा की खेती से कमाई करने के लिए, सुझाव दिए जा सकते हैं कि आप खेत की अच्छी तरीके से देखभाल करें, खाद और जल संचारण को ध्यान में रखें, और बाजार की मांग के साथ समय पर बीकने का प्रयास करें।
अच्छी खेती प्रथाएं, समय पर कटाई, और बीजों के साथ विविधता वाले बाजारों में बेचने में सहायक हो सकती हैं। स्थानीय कृषि विशेषज्ञों से सलाह लें और नवाचारों का पालन करें ताकि आप जीरे की खेती से सफलता प्राप्त कर सकें [जीरा की खेती कब और कैसे करें]।
किसानो के द्वारा पूछे जाने वाले सवाल ?
Q: एक बीघा में जीरा कितना होता है?
Ans: एक बीघा में जीरा की खेती करते समय बीज की मात्रा और बीजों की किस्म पर निर्भर करता है, लेकिन आमतौर पर एक बीघा में 8-10 किलोग्राम तक जीरा उगा सकते हैं।
Q: जीरा कितने दिन में उगता है?
Ans: जीरा की विकास अधिकतर मामूली समय में होता है, और यह आमतौर पर 90 से 120 दिनों में पूरी तरह तैयार हो जाता है।
Q: जीरा की खेती राजस्थान में कैसे की जाती है?
राजस्थान में जीरा की खेती उपयुक्त मौसम और खेत की तैयारी के साथ की जा सकती है। यहां पर्याप्त पानी और अच्छी मान्यूर की आवश्यकता होती है, और विशेषज्ञ सलाह लेने की सिफारिश की जाती है।
Q: उत्तर प्रदेश में जीरा की खेती?
Ans: उत्तर प्रदेश में जीरा की खेती का समय खासकर गर्मियों में होता है, और यहां के कृषि विशेषज्ञों के सुझावों के साथ स्थानीय मौसम के हिसाब से किया जाता है।
Q: जीरा की खेती कब होती है?
Ans: जीरा की खेती का समय बीजों की किस्म और स्थानीय मौसम के आधार पर भिन्न हो सकता है, लेकिन आमतौर पर सर्दियों से गर्मियों के बीच के मोसम में की जाती है |
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