भारत के राज्य में भांग की खेती कर सकते हैं: हेम्प (भांग) की खेती भारत में राज्यों के विशेष नियमों के तहत होती है, और भांग के उत्पादों की मांग बढ़ रही है। उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, और मध्य प्रदेश के कुछ हिस्से और ओडिशा के कुछ क्षेत्र भांग की खेती को बढ़ावा देने में रुचि दिखा रहे हैं |
क्योंकि यहां का मौसम भांग की खेती के लिए उपयुक्त है। हेम्प की खेती के नियम और लाइसेंस की आवश्यकता होती है, और इसके उपयोग भी राज्यों के अनुसार अलग हो सकते हैं। हेम्प की खेती करने से पहले अपने क्षेत्र के कानूनी और बाजार के पहलुओं के बारे में सही जानकारी प्राप्त करें और स्थानीय नियमो का पालन करें।
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भांग की बुवाई का सही समय क्या है?
भांग की खेती का समय भारत में प्राथमिक रूप से स्थानीय जलवायु और सरकारी नियमों पर निर्भर करता है। सामान्यत: हेम्प की खेती भारत में मार्च से जून के बीच के मौसम के दौरान की जाती है। यह समय तापमान व पानी की उपलब्धता, और विभिन राज्यों के नियमों के हिसाब से भिन्न हो सकता है।
आपके क्षेत्र की विशेष मौसम परिस्थितियों के साथ और स्थानीय खेती विशेषज्ञों से परामर्श लें [भारत के राज्य में भांग की खेती कर सकते हैं]।
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भांग की खेती के लिए बीज को कहा से ख़रीदे?
भांग की खेती के लिए बीज आप अपने राज्य के मान्यता प्राप्त बीज आपूर्तिकारों, सरकारी कृषि विभागों, और प्रमाणित कृषि संस्थानों से खरीद सकते हैं। यह निश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है कि आपके पास विश्वसनीय और मान्यता प्राप्त स्रोतों से बीज है, जो उनकी गुणवत्ता और स्थानीय नियमों के साथ मेल खाते हैं।
हेम्प के बीजों की खरीदारी से पहले, अपने क्षेत्र में हेम्प की खेती के लिए कानूनी और विशिष्ट आवश्यकताओं की जांच और पुष्टि करें, क्योंकि अलग-अलग राज्यों में नियम अलग-अलग हो सकते हैं। इसके अलावा, अपने क्षेत्र के कृषि विशेषज्ञों से सलाह लें।
भांग की कौन सी किस्म सबसे अच्छी होती है?
भांग के बेहतरीन बीज जो आपके विशेष लक्ष्यों और स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार चुनाव करना चाहिए है, वे विभिन्न हो सकते हैं। हालांकि, कुछ हेम्प जातियाँ हैं जो भारत में खेती के लिए उपयुक्त हैं और उनकी गुणवत्ता के लिए प्रसिद्ध हैं, जैसे:
- झकास: झकास एक उच्च गुणवत्ता वाली भारतीय हेम्प जाति है जो फाइबर और बीज उत्पादन दोनों के लिए उपयुक्त है। इसकी मजबूत वृद्धि और भारतीय परिस्थितियों में अनुकूलता के लिए जानी जाती है।
- कोम्पोल्टी: कोम्पोल्टी एक बहुमुखी भांग जाति है जिसे फाइबर, बीज और तेल उत्पादन के लिए उपयोग किया जा सकता है। इसमें अच्छी रोग प्रतिरोधक्षमता है और भारत के विभिन्न क्षेत्रों में सफलतापूर्वक थ्रिव हो सकता है।
- USO 31: USO 31 उसके बीजों में उच्च तेल संविशेषता के लिए महत्वपूर्ण है, जिससे तेल निष्कर्षण के उद्देश्यों के लिए उपयुक्त है। अगर आप हेम्प तेल उत्पादन पर ध्यान केंद्रित करने की सोच रहे हैं, तो यह एक अच्छा विकल्प हो सकता है।
- वामा: वामा दूसरी भारतीय भांग जाति है जिसे इसकी फाइबर गुणवत्ता के लिए जाना जाता है। यह उच्च-गुणवत्ता वाली हेम्प फाइबर की आवश्यकता रखने वाले उद्योगों के लिए उपयुक्त है।
- रूडरालिस: रूडरालिस एक हेम्प जाति है जिसकी फूलने की अवधि छोटी होती है, इसके लिए यह उन क्षेत्रों के लिए उपयुक्त हो सकता है जिनमें फसल की फूलने की अवधि कम होती है।
भारत के kis राज्य में भांग की खेती कर सकते हैं
भांग की खेती के लिए भारत में कुछ राज्य जैसे कि उत्तराखंड, जम्मू और कश्मीर, त्रिपुरा, मेघालय, और उत्तर प्रदेश आदि में कुछ ब्लॉकों में कानूनी मान्यता है। हालांकि इन राज्यों में भांग की खेती की मान्यता हो सकती है,
तो भी यह महत्वपूर्ण है कि आप स्थानीय कृषि विभाग या सरकार की वेबसाइट से सटीक औरअपडेटेड जानकारी प्राप्त करें और स्थानीय कानूनों और नियमों का पूरा पालन करें।
भारत में भांग उगाने का लाइसेंस कैसे प्राप्त कर सकता हूं?
भांग की खेती के लाइसेंस प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित कदमों का पालन करें:
- स्थानीय नियमों की जांच करें: आपके राज्य में भांग की खेती के लिए स्थानीय नियम और विधियाँ हो सकती हैं। कृषि विभाग की वेबसाइट या स्थानीय कृषि कार्यालय से इसकी जानकारी प्राप्त करें।
- आवश्यक दस्तावेज़ तैयार करें: लाइसेंस के लिए आवश्यक दस्तावेज़ जैसे कि भूमि के प्रमाणपत्र, किसान पहचान प्रमाणपत्र, और खेत के नक्शे को तैयार करें।
- कृषि विभाग से संपर्क करें: अपने राज्य के कृषि विभाग के कृषि कार्यालय में जाएं और वहां के अधिकारी से मिलें। उनसे आपको खेती के लिए आवश्यक लाइसेंस की प्रक्रिया के बारे में जानकारी मिलेगी।
- आवश्यक फीस जमा करें: लाइसेंस प्राप्त करने के लिए आवश्यक फीस का भुगतान करें। यह फीस आपके राज्य के नियमों के आधार पर अलग-अलग हो सकती है।
- अनुशासन का पालन करें: एक बार लाइसेंस प्राप्त करने के बाद, आपको स्थानीय नियमों और विधियों का पूरी तरह से पालन करना होगा। यह सुनिश्चित करेगा कि आपका खेती कानूनी हो और आपको किसी भी प्रकार की निर्दिष्ट कानूनी संघर्ष से बचाएगा [भारत के राज्य में भांग की खेती कर सकते हैं]।
कृपया ध्यान दें कि हेम्प और भांग की खेती के नियम भारत के विभिन्न राज्यों में अलग-अलग हो सकते हैं, इसलिए स्थानीय कृषि विभाग के साथ संपर्क करना महत्वपूर्ण है।

भांग की खेती की शुरुआत से पहले खेत की तैयारी कैसे करें
भांग की खेती की शुरुआत से पहले खेत की तैयारी एक महत्वपूर्ण चरण है जो उच्च गुणवत्ता वाली फसल प्राप्त करने में मदद कर सकता है। इस चरण में, हम खेत की तैयारी के कुछ महत्वपूर्ण चरणों के बारे में चर्चा करेंगे:
1. सॉयल टेस्टिंग:
पहले खेत की तैयारी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है सॉयल टेस्टिंग करना। यह टेस्ट आपको खेत के मिट्टी की गुणवत्ता, पीएच स्तर, और पौष्टिकता की जानकारी प्रदान करेगा। आप इस जानकारी का उपयोग करके खेत में आवश्यक और समय-सामय पर मिट्टी संशोधन कर सकते हैं।
2. मिट्टी की कुशलता:
खेत की तैयारी में मिट्टी को सुचारू रूप से तैयार करना महत्वपूर्ण है। यह शामिल करता है: मिट्टी की खुराक का नियंत्रण, बुनाई का सही तरीका, और कीट-रोग नियंत्रण की जरूरत के आधार पर सही खुराकों का उपयोग करना। अगर मिट्टी की गुणवत्ता बेहतर होगी, तो आपकी भांग की पौधों की उन्नति में मदद मिलेगी।
3. बुनाई और अंकुरण:
अंत में, खेत की तैयारी में बुनाई और अंकुरण का महत्वपूर्ण भाग है। भांग के बीजों को सही तरीके से बोने जाने चाहिए और उन्हें अच्छी तरह से सिंचाया जाना चाहिए। इसके बाद,
आपको पौधों की देखभाल और उनके विकास की मोनिटरिंग करनी चाहिए ताकि आप एक स्वस्थ और उत्पादक भांग की कटिंग प्राप्त कर सकें [भारत के राज्य में भांग की खेती कर सकते हैं]।।
इन चरणों का पालन करके आप अपने खेत को भांग की खेती के लिए तैयार कर सकते हैं
उपजाऊ/खाद्य सामग्री | मात्रा (क्विंटल प्रति एकड़) |
---|---|
गोबर खाद्य | 20 क्विंटल |
नीम खाद्य | 1 क्विंटल |
यूरिया | 1 क्विंटल |
फॉस्फेट | 0.5 क्विंटल |
पोटाश | 0.5 क्विंटल |
माइक्रोन्यूट्रिएंट (जिंक सल्फेट) | 5 किलोग्राम |
फुलविक एसिड (केटल प्रोडक्ट्स) | 1 किलोग्राम |
कृषि सामग्री का उपयोग कैसे करें:
- गोबर खाद्य और नीमबीज खाद्य: गौमूत्र और नीमबीज खाद्य को बीजों की बूटी बातने से पहले खेत में मिश्रित करें।
- यूरिया, फॉस्फेट, और पोटाश: ये तीनों सामग्री को समान मात्रा में खेत में बोएं और ध्यानपूर्वक मिश्रित करें।
- माइक्रोन्यूट्रिएंट (जिंक सल्फेट): खेत के ऊपर छिड़कें या खेत में मिश्रित करें।
- फुलविक एसिड: फुलविक एसिड को पानी में मिलाकर छिड़कें या खेत में डालें।
यह सामग्री खेत की जड़ों को पौष्टिकता प्रदान करेगी और अच्छी गुणवत्ता वाली कृषि फसल प्राप्ति में मदद करेगी। कृपया ध्यान दें कि सामग्री की मात्रा को खेत की मिट्टी के आधार पर सावधानीपूर्वक नियंत्रित करें और स्थानीय कृषि विशेषज्ञों से सलाह लें |
हेम्प पौधों की खेत में प्रत्यारोपण कैसे करें
हेम्प पौधों को खेत में प्रत्यारोपण करना एक महत्वपूर्ण कदम है जो उनकी अच्छी गुणवत्ता वाली फसल प्राप्ति में मदद कर सकता है। प्रत्यारोपण की प्रक्रिया निम्नलिखित है:
- पौधों की तैयारी: पौधों की खेत में प्रत्यारोपण से पहले, पौधों की तैयारी करें। सुनिश्चित करें कि पौधे स्वस्थ और सबल हैं, और उनकी जड़ें और ऊपरी भाग सही तरीके से विकसित हैं।
- खेत में प्रत्यारोपण: पौधों को खेत में प्रत्यारोपण करते समय, उनके बीच की दूरी का ध्यान दें। हेम्प की पौधों के बीच की दूरी आमतौर पर लगभग 15 से 30 सेंटीमीटर (6 से 12 इंच) होती है, यह दूरी पौधों के सही विकास और फसल की उत्पादकता को सुनिश्चित करती है।
- पौधों की राख का ध्यान: पौधों को खेत में प्रत्यारोपण करते समय, उनकी राख को ध्यान से रखें ताकि पौधों को किसी तरह का नुकसान न हो। पौधों की राख को धीरे-धीरे खोदकर और ढंककर ढक दें ताकि वे अच्छी तरह से जड़ सकें [भारत के राज्य में भांग की खेती कर सकते हैं]।।
पौधों के बीच की दूरी का महत्व
हेम्प की पौधों के बीच की दूरी को ध्यानपूर्वक निर्धारित करना महत्वपूर्ण है। लगभग 15 से 30 सेंटीमीटर (6 से 12 इंच) की दूरी पौधों के लिए आदर्श होती है, इससे पौधों को उच्च गुणवत्ता वाली फसल प्राप्त करने के लिए पर्याप्त जगह मिलती है। इस तरीके से पौधों के बीच न्यूनतम प्रतिस्पर
भंग की खेती के लिए की फर्टिगेशन
भंग की फर्टिगेशन (उर्वरक, खाद और माइक्रोन्यूट्रिएंट्स) की पूरी जानकारी:
स्टेज | उर्वरक | खाद | माइक्रोन्यूट्रिएंट्स |
---|---|---|---|
पूर्व-प्रक्षेपण | |||
2 क्विंटल यूरिया | 20 क्विंटल गोबर की खाद | 5 किलो जिंक सल्फेट | |
1 क्विंटल सुपरफॉस्फेट | |||
0.5 क्विंटल म्यूरिएट ऑफ | |||
पोटैश (पोटैशियम) | |||
अंकुरण स्टेज | |||
वनस्पति स्टेज | |||
1 क्विंटल यूरिया | 0.5 क्विंटल वर्मीकॉम्पोस्ट | 5 किलो जिंक सल्फेट | |
फूलने की स्टेज | |||
1 क्विंटल यूरिया | 0.5 क्विंटल वर्मीकॉम्पोस्ट | 5 किलो जिंक सल्फेट | |
दाना बनाने की स्टेज | |||
1 क्विंटल यूरिया | 0.5 क्विंटल वर्मीकॉम्पोस्ट | 5 किलो जिंक सल्फेट | |
0.5 क्विंटल म्यूरिएट ऑफ | |||
पोटैश (पोटैशियम) | |||
कटाई स्टेज | |||
कृपया ध्यान दें कि यह हेम्प की फर्टिगेशन की एक सामान्य जानकारी है। यह आपकी विशेष मिट्टी की स्थितियों, हेम्प प्रजाति, और स्थानीय सिफारिशों के आधार पर योजना और मात्रा को समायोजित करना महत्वपूर्ण है।
साथ ही, अपने क्षेत्र के कृषि विशेषज्ञों से संपर्क करें ताकि आपके क्षेत्र में हेम्प खेती के लिए निश्चित मार्गदर्शन प्राप्त कर सकें।[भारत के राज्य में भांग की खेती कर सकते हैं]।

भंग इ खेती के लिये स्प्रे स्केड्यूल:
स्टेज | कीट/रोग | दवाई का नाम | लागू करने का समय | नोट्स |
---|---|---|---|---|
पूर्व-प्रक्षेपण | मिट्टी-बोर्न पैथोजन्स | नेमटोड कंट्रोल सॉल्यूशन | पैडोन के पूर्व | नेमटोड कंट्रोल के लिए पैडों में लागू करें। |
अंकुरण स्टेज | कवक रोग | फंगिसाइड | अंकुरण के दौरान आवश्यकतानुसार | कवक समस्या आती है तो लागू करें। |
कीट प्राणी | कीटनाशक | अंकुरण के दौरान आवश्यकतानुसार | कीट प्राणी होने पर लागू करें। | |
वनस्पति स्टेज | कवक रोग | फंगिसाइड | वृद्धि के दौरान नियमित रूप से | कवक रोगों के लिए रोकथाम के लिए लागू करें। |
कीट प्राणी | कीटनाशक | वृद्धि के दौरान आवश्यकतानुसार | कीट प्राणी होने पर लागू करें। | |
पोषण कमी | पौधों के पोषण के लिए | वृद्धि के दौरान आवश्यकतानुसार | पोषण की कमी को दूर करें। | |
माइक्रोन्यूट्रिएंट्स | ||||
फूलने की स्टेज | कवक रोग | फंगिसाइड | फूलने के दौरान नियमित रूप से | कवक रोगों के लिए रोकथाम के लिए लागू करें। |
कीट प्राणी | कीटनाशक | फूलने के दौरान आवश्यकतानुसार | कीट प्राणी होने पर लागू करें। | |
पोषण कमी | पौधों के पोषण के लिए | फूलने के दौरान आवश्यकतानुसार | पोषण की कमी को दूर करें। | |
माइक्रोन्यूट्रिएंट्स |
दाना बनाने की स्टेज | कवक रोग | फंगिसाइड | फ्रूटिंग के दौरान नियमित रूप से | कवक रोगों के लिए रोकथाम के लिए लागू करें। |
कीट प्राणी | कीटनाशक | फ्रूटिंग के दौरान आवश्यकतानुसार | कीट प्राणी होने पर लागू करें। | |
पोषण कमी | पौधों के पोषण के लिए | फ्रूटिंग के दौरान आवश्यकतानुसार | पोषण की कमी को दूर करें। | |
माइक्रोन्यूट्रिएंट्स | ||||
कटाई स्टेज | कटाई के पास कीटनाशक का प्रयोग न करें। |
अपने क्षेत्र में हेम्प खेती के लिए कीटों और बीमारियों के प्रबंधन के लिए स्थानीय कृषि विशेषज्ञों से परामर्श करें। उनकी सिफारिशों और आपके स्थानीय परिस्थितियों के आधार पर स्प्रे स्केड्यूल और पोषण मात्रा को उनके सुझावों के अनुसार समायोजित करें।
भंग की फसल कितने दिन में तैयार होती है
भंग की फसल की तैयारी का समय विशेष प्रकार की हो सकता है और यह बोए गए हेम्प की प्रजाति, मौसम और अन्य कृषि तथा प्राकृतिक परिस्थितियों पर निर्भर करता है। सामान्य रूप से, भंग की फसल को बोने जाने के बाद उसकी तैयारी का समय लगभग 90 से 120 दिनों के बीच होता है।[भारत के राज्य में भांग की खेती कर सकते हैं]
हेम्प की पूरी फसल की तैयारी के लिए इस समय की आवश्यकता होती है, और यह आपके क्षेत्र में विभिन्न प्राकृतिक और कृषि परिस्थितियों के आधार पर भी बदल सकता है। कृषि विशेषज्ञों या स्थानीय कृषि विभाग की सलाह लेना फसल की तैयारी के सही समय का निर्धारण करने में मदद कर सकता है।
भंग फसल को कहां बेचें
भंग की खेती ने भारत में विभिन्न उद्योगों में इसका अलग अलग उपयोग करने के कारण लोकप्रियता प्राप्त की है, जैसे कि टेक्सटाइल, फार्मास्यूटिकल्स, और खाद्य उत्पादों में। अगर आप एक हेम्प किसान हैं और अपनी फसल को बेचने की सोच रहे हैं, तो निम्नलिखित विचार को विचार करें:
1. सरकारी खरीदी कार्यक्रम:
भारत में कई राज्य सरकारें हेम्प किसानों का समर्थन करने के लिए खरीदी कार्यक्रम शुरू किए हैं। इन कार्यक्रमों का उद्देश्य किसानों को एक उचित मूल्य प्रदान करना है और हेम्प की खेती को प्रोत्साहित करना है। आप अपने राज्य के कृषि विभाग या स्थानीय कृषि सहकारी से सरकारी खरीदी योजनाओं और भागीदारी की पात्रता मामले की जानकारी के लिए पूछ सकते हैं।
2. हेम्प प्रोसेसिंग कंपनियों:
भारत में कई निजी हेम्प प्रोसेसिंग कंपनियाँ सीधे किसानों से हेम्प खरीदती हैं। ये कंपनियाँ हेम्प को विभिन्न उत्पादों में जैसे कि टेक्सटाइल, सीबीडी तेल, और हेम्प पर आधारित खाद्य वस्त्रों में प्रसंस्करण करती हैं।
अपने क्षेत्र में प्रतिष्ठित हेम्प प्रोसेसिंग कंपनियों का अनुसंधान करें और उनसे संपर्क करें ताकि आप अपनी हेम्प फसल को बेचने के बारे में चर्चा कर सकें।
3. ऑनलाइन बाजार स्थल:
कृषि उत्पादों के लिए समर्पित ऑनलाइन प्लेटफार्मों और बाजार स्थल का उपयोग करें। किसानों को खरीददारों से जोड़ने वाली वेबसाइट और ऐप्स का उपयोग एक व्यापक बाजार तक पहुंचने का एक सुविधाजनक तरीका हो सकता है।
खरीददारों को अपनी हेम्प फसल के बारे में सटीक जानकारी प्रदान करें, जैसे कि इसकी गुणवत्ता, मात्रा, और मूल्य,
ताक की ओर से पोटेंशियल खरीददारों को आकर्षित करने के लिए।
4. सहकारी समितियां और किसान समूह:
किसानों की बेचते समय एकत्र होने या समितियों या किसान समूहों का गठन करने या जॉइन करने का फायदा उठाएं। इन संगठनों के सदस्यों के पक्ष से खरीददारों के साथ बेहतर मूल्य और शर्तों पर परामर्श किया जा सकता है।
इसके अलावा, वे बाजार के निरीक्षण और गुणवत्ता मानकों के बारे में मूलभूत जानकारी प्रदान कर सकते हैं [भारत के राज्य में भांग की खेती कर सकते हैं]।

भंग की खेती के फायदे और नकारात्मक प्रभाव:
भंग की खेती के फायदे और नकारात्मक प्रभाव:
फायदे | नकारात्मक प्रभाव |
---|---|
1. पर्यावरणमित्त खेती: | 1. कानून और नियम: |
हेम्प को एक पर्यावरणमित्त फसल माना जाता है क्योंकि इसमें अन्य कई फसलों की तुलना में कम पानी, कीटनाशक और संश्लेषित उर्वरक की जरुरत होती है। | कुछ क्षेत्रों में, हेम्प की खेती कठिन नियमों के अधीन हो सकती है या फिर मानवर्गिक गंजे के साथ इसके संबंध के कारण यह पूरी तरह से निषिद्ध भी हो सकती है, जिससे हेम्प की खेती पर विधायिका लग सकती है। |
2. बहुमुखी उपयोग: | 2. भूमि का प्रयोग: |
हेम्प विभिन्न उपयोगों के लिए प्रयुक्त हो सकता है, जैसे कि वस्त्रों के लिए तंतु, खाद्य और औद्योगिक उद्योग के लिए तेल, और निर्माण सामग्री। | बड़ी पैमाने पर हेम्प की खेती भूमि का प्रयोग परिवर्तन कर सकती है, जिससे स्थानीय पारिस्थितिकियों और जैव विविधता पर असर पड़ सकता है। |
3. मिट्टी सुधारना: | 3. कीट और बीमारी प्रबंधन: |
हेम्प की गहरी जड़ें मिट्टी की संरचना और पोषण सामग्री को सुधारती हैं, जबकि यह प्राकृतिक खरपतवार दवा के रूप में काम कर सकता है। | हेम्प की खेती, हालांकि सामान्य रूप से प्रतिरोधी है, बिना सही प्रबंधन के कीटों और बीमारियों के प्रति वंशानुक्रमण के लिए भी खतरे में डाल सकती है, जिससे कीट पर हानि हो सकती है। |
4. कार्बन संचयन: | 4. मिलावट का संभावना: |
हेम्प पौधे अपने विकास के दौरान वायुमंडल से कार्बन डाइऑक्साइड (सीओ2) को जकड़ और संचित करते हैं, जिससे जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम किया जा सकता है। | हेम्प और मारिजुआना पौधों के बीच क्रॉस-पोलिनेशन की संभावना होती है, जिससे उत्पाद की गु |
5. आर्थिक अवसर: | 5. बाजार के अनिश्चितता: |
हेम्प की खेती किसानों और स्थानीय समुदायों के लिए आर्थिक अवसर प्रदान कर सकती है, विभिन्न विपणनीय उत्पादों के लिए। | हेम्प बाजार अस्थिर हो सकता है, जिसमें मांग और मूल्यों की उथल-पुथल होती है, किसानों के लिए चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। |
6. गुणवत्ता नियंत्रण: | |
हेम्प में नियमित गुणवत्ता और कैनबिनॉयड स्तरों की सुनिश्चित कीमत और निगरानी करना मुश्किल हो सकता है, खासकर CBD उत्पादन के लिए। |
भंग की खेती से संबधित लोगो के द्वारा पुछे जाने वाले प्रश्न
Q: भांग के पौधों से क्या बनता है?
Ans: भांग के पौधों से चरस बनता है.
Q: भांग का पौधा घर में लगा सकते हैं क्या?
Ans: जी हां, भांग का पौधा कुछ स्थानों पर कानूनी रूप से घर में लगा सकता है.
Q: भांग का दूसरा नाम क्या है?
Ans: भांग का दूसरा नाम ‘चरस’ है.
Q: भांग का क्या नुकसान है?
Ans: भांग का अत्यधिक सेवन स्वास्थ्य को क्षति पहुंचा सकता है, और यह कानून के खिलाफ भी हो सकता है.
Q:भांग की कीमत क्या है?
Ans: भांग की कीमत विभिन्न स्थानों पर अलग-अलग हो सकती है, इसे ताक और अन्य आवश्यकताओं के हिसाब से मूल्यांकित किया जाता है.
Q: भांग खाने से क्या मिलता है?
Ans: भांग खाने से उत्तेजना, विश्वास, और तनाव में कमी हो सकती है, लेकिन इसका अत्यधिक सेवन हानिकारक हो सकता है और कानून के खिलाफ हो सकता है.