एवोकैडो की खेती कब और कैसे करें? पुरी जानकरी प्राप्त करे

एवोकैडो की खेती कब और कैसे करें: आपको एवोकैडो की खेती करने के लिए भारत में कुछ राज्य विचार कर सकते हैं, जैसे कि कर्नाटक, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और केरल। इन राज्यो की उचित जलवायु और मिट्टी की स्थिति एवोकैडो की अच्छी खेती के लिए महत्वपूर्ण है।

इसके अलावा, एवोकैडो की खेती को समझने और प्रैक्टिस करने के लिए ट्रेनिंग प्राप्त करना भी महत्वपूर्ण हो सकता है, ताकि आप सफल और लाभकारी खेती कर सकें।



क्या एवोकैडो की खेती उत्तर भारत में कर सकते है?

एवोकैडो की खेती उत्तर भारत में कठिन हो सकती है, क्योंकि यह फसल गर्म और उमसी जलवायु को पसंद करती है, और यहां की ठंडी और मौसम की स्थिति उसके लिए अच्छी नहीं होती है। हरियाणा, पंजाब के ऊपरी भाग में एवोकैडो खेती की जा सकता है

एवोकैडो के पौधों को बर्ड से बचाने के लिए बर्ड नेटिंग की आवश्यकता होती है, और उन्हें बारिश और ठंडी से सुरक्षित रखना होता है।

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एवोकैडो की खेती कब और कैसे करें?

भारत में एवोकैडो की खेती अक्सर गर्मियों के मौसम में की जाती है। इसे मुख्य रूप से मार्च से मई के बीच बोए जा सकते हैं, जब तापमान 20 -35 डिग्रीसेल्सियस के बीच रहता है और जलवायु उचित होता है। यह समय एवोकैडो के पौधों के लिए आदर्श होता है|

लेकिन यह भी स्थान के अनुसार थोड़ी सी तब्दील हो सकती है, इसलिए स्थानीय कृषि विशेषज्ञ से सलाह लें और उनके सुझावों का पालन करें।


एवोकैडो की खेती के लिए plants को कहा से ख़रीदे?

एवोकैडो के पौधे खरीदने के लिए, आपको अपने क्षेत्र में समर्थनीय कृषि नर्सरी, कृषि अनुसंधान केंद्र, या सरकारी कृषि विभाग में जाना चाहिए। ये स्थान पर आपको उच्च गुणवत्ता वाले एवोकैडो के पौधे मिल सकते हैं और आपको अपने विशेष जलवायु और मिट्टी की स्थिति के लिए उपयुक्त एवोकैडो की विभिन्न प्रकारों की मार्गदर्शन भी मिल सकता है।

सुनिश्चित करें कि आप स्वस्थ, रोग-मुक्त पौधे चुनते हैं जिनमें मजबूत जड़ी तंतु हो। आप विश्वसनीय ऑनलाइन बाजार और कृषि फोरम्स की तलाश करके ऐसे प्रमाणित आपूर्तिकर्ताओं को भी खोज सकते हैं जो आपके स्थान पर एवोकैडो के पौधे प्रदान कर सकते हैं।

हमेशा यह सुनिश्चित करें कि आपके क्षेत्र में एवोकैडो की खेती के प्रयासों के लिए स्थानीय कृषि विशेषज्ञों से परामर्श लें, जैसे कि बोनाने, देखभाल, और कीट प्रबंधन, ताकि आपका एवोकैडो की खेती सफल हो सके [एवोकैडो की खेती कब और कैसे करें]।

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अवोकैडो पौधों को खेत में प्रत्यारोपण

एवोकैडो पौधों को खेत में प्रत्यारोपण करने की विधि क्या है?

एवोकैडो पौधों को खेत में प्रत्यारोपण करने की विधि:

एवोकैडो के पौधों की तैयारी:

पौधों को खेत में प्रत्यारोपण से पहले तैयारी करना महत्वपूर्ण है। पहले, पौधों को जल संचार के लिए अच्छी तरह से सिंक कर लें। इसके बाद, पौधों को नर्सरी से खुदाई करके निकालें, ध्यानपूर्वक जड़ी तंतु के साथ।

एवोकैडो के पोधों को खेत में प्रत्यारोपण

पौधों को खेत में दिन के शुरू के समय या मौसम के ठंडे होने के समय प्रत्यारोपण करें। एवोकैडो के पौधे को लगाने के लिए, आप 90X90 सेंटीमीटर आकार के गड्ढे खोद सकते हैं | पौधों के लिए गहरे गड्ढे तैयार करें। पौधों के बीच की दूरी को स्थानीय अधिकारियों या कृषि विशेषज्ञों की सलाह के आधार पर निर्धारित करें, लेकिन आमतौर पर एवोकैडो पौधों के बीच 5 से 7 मीटर की दूरी अच्छी तरह कार्य कर सकती है।

एवोकैडो के पौधों को रोपण तारीक़ा:

एवोकैडो पौधों को प्रत्यारोपण के समय संवेदनशील रूप से रोपने की तकनीक का सही चयन करें। इसके लिए आप मुख्य तारीके में “डबल ड्रोप” तारीका या “स्क्वायर प्लांटिंग” का उपयोग कर सकते हैं, जो पौधों के बीच की दूरी को निर्धारित करने में मदद कर सकता है।

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सावधानियाँ: प्रत्यारोपण के दौरान, पौधों की जड़ें स्थिर रहें। बागवानी के अनुसार सुनिश्चित करें कि पौधे खेत में उचित दिशा में और उचित गहराई में जमाए जाते हैं। पौधों को प्रत्यारोपण के बाद उचित जल संचार देना महत्वपूर्ण है और पौधों के चारों ओर की भूमि को मूल्यांकन करके उन्हें मूल्यवान गाड़ों के साथ पूर्ण तरीके से कवर करें, ताकि वे प्रत्यारोपण के दौरान हानि से बचे।

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एवोकैडो पौधों को खेत में प्रत्यारोपण कैसे करे ?

एवोकैडो पौधों को खेत में प्रत्यारोपण के लिए निम्नलिखित सामग्री का उपयोग करें:

सामग्री प्रकारसिफारिश
खाद्यनअच्छी तरह से तैयार किया हुआ जैविक खाद्यन (जैसे कम्पोस्ट या गोबर खाद्यन) अच्छा रहेगा। लगभग 10-15 टन प्रति एकड़ आवश्यक हो सकता है।
माइक्रोन्यूट्रिएंट्समिट्टी की परीक्षा करें ताकि किसी विशिष्ट कमी की पहचान हो सके। सामान्यत: जिंक, मैंगनीज, और बोरॉन जैसे माइक्रोन्यूट्रिएंट्स की आवश्यकता हो सकती है। मिट्टी की परीक्षा के परिणामों के आधार पर माइक्रोन्यूट्रिएंट्स की मात्रा समायोजित करें।
खाद्यकअवोकैडो पौधों के लिए उपयुक्त संतुलित NPK (नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटैशियम) खाद्यक का उपयोग करें (उदाहरण: 16-16-16 या 20-20-20)। पहले साल में प्रति पौधे के लिए लगभग 500-600 ग्राम का उपयोग करें, और धीरे-धीरे बढ़ाएं जब पौधे पूरी तरह से बढ़ जाएं। मिट्टी की स्थितियों के आधार पर मात्रा समायोजित करें।

याद रखें कि सफल अवोकैडो खेती के लिए आपके विशेष खेत के निर्धारित पौधों की नियमिता और स्थानीय कृषि विशेषज्ञों से सलाह लें, और मिट्टी की परीक्षा करना महत्वपूर्ण है ताकि आपकी खेती सफल हो सके[एवोकैडो की खेती कब और कैसे करें]।


एवोकैडो की फसल के लिए फर्टिगेशन

यहां एवोकैडो की खेती के लिए पूरे प्रोडक्शन की अवधि के लिए फर्टिगेशन प्लान है, जो पौधों के प्रत्यारोपण से लेकर उनके उत्पादन के अंत तक लागू किया जा सकता है।

चरणसामग्री प्रकारसिफारिश
पौधों की प्रत्यारोपण (पहला साल)खाद्यनपौधों के प्रत्यारोपण के समय 10-15 टन प्रति एकड़ की दर पर अच्छी तरह से तैयार किया हुआ जैविक खाद्यन (कम्पोस्ट या गोबर खाद्यन) का उपयोग करें।
माइक्रोन्यूट्रिएंट्समिट्टी की परीक्षा करें और कमी के आधार पर माइक्रोन्यूट्रिएंट्स का उपयोग करें। सामान्य माइक्रोन्यूट्रिएंट्स में जिंक, मैंगनीज, और बोरॉन शामिल हो सकते हैं।
खाद्यकपहले साल में प्रति पौधे के लिए लगभग 500-600 ग्राम की खाद्यक का उपयोग करें। धीरे-धीरे पौधों के बढ़ते जाने पर मात्रा बढ़ाएं। मिट्टी की स्थितियों के आधार पर समायोजन करें।
साल 2 से परिपक्वताखाद्यनसालाना जैविक खाद्यन के अनुप्रयोग को जारी रखें ताकि मिट्टी की स्वास्थ्य बनी रहे। यहां तक कि आवश्यक हो तो मात्रा को समायोजित करें।
माइक्रोन्यूट्रिएंट्समिट्टी के पोषण स्तर की मॉनिटरिंग करें और मिट्टी की परीक्षा के परिणामों के आधार पर माइक्रोन्यूट्रिएंट्स का अनुप्रयोग करें। आवश्यक होने पर मात्रा को समायोजित करें।
खाद्यकमिट्टी की परीक्षा के परिणामों और पौधों की आवश्यकताओं के आधार पर हर साल एक संतुलित NPK खाद्यक का अनुप्रयोग करें। आवश्यक होने पर मात्रा को समायोजित करें।
उत्पादन के सालखाद्यनपौधों की स्वास्थ्य और फलों के उत्पादन को बनाए रखने के लिए नियमित जैविक खाद्यन का अनुप्रयोग करें। पौधों के आकार और उत्पादन के आधार पर मात्रा को समायोजित करें।
माइक्रोन्यूट्रिएंट्समात्ती की परीक्षा जारी रखें और स्थानीय विशेषज्ञों या माटी विश्लेषण के आधार पर माइक्रोन्यूट्रिएंट्स का अनुप्रयोग करें।
खाद्यकमिट्टी की स्थितियों और फलों की मात्रा के आधार पर पौधों की पोषण की आवश्यकताओं के आधार पर एक संतुलित खाद्यक कार्यक्रम को लागू करें। मिट्टी की परीक्षा और पौधों के प्रदर्शन के आधार पर नियमित रूप से मात्रा को समायोजित करें।
नोट:सिंचाई:प्रभावी तरीके से पौधों के जड़ क्षेत्र में पोषण पहुँचाने के लिए एक अच्छी तरह से योजनित टिपटिया सिंचाई प्रणाली को लागू करें। मिट्टी की नमी की नियमित जांच करें।
pH प्रबंधन:पौधों के पोषण और स्वास्थ्य के लिए मिट्टी का pH 6.0 से 7.0 के बीच रखें। आवश्यकता होने पर समायोजन करें।
एवोकैडो की खेती कब और कैसे करें

यह फर्टिगेशन प्लान एक गाइडलाइन प्रदान करता है जिसके अनुसार पोषण को प्रबंधित किया जा सकता है औ

रोग का प्रकारदवा का नामस्प्रे समय
एन्थ्रेक्नोजा रोगमेटालैक्सील 72% WPपौधों के निकटतम विकसन के बाद, फिर हर 15-20 दिन में
एन्थ्रेक्नोजा रोगकोप्पर ऑक्सीक्लोराइड 50% WPजलवायु के अनुसार, प्रारंभ में और फिर हर 15-20 दिन में
विलोज्ना रोगडीएसटी (Dimethomorph 50% WP)रोग के प्रकोप के समय और फिर हर 10-15 दिन में
विलोज्ना रोगमैन्कोजेब 75% WPरोग के प्रकोप के समय और फिर हर 10-15 दिन में
रूट रोटफोसेटिल 50% WPप्रारंभ में और फिर हर 15-20 दिन में
रूट रोटमेनक्जेब 75% WPप्रारंभ में और फिर हर 15-20 दिन में
एन्थ्रेक्नोजा रोगपायरेथ्राइन 25% ECरोग के प्रकोप के समय और फिर हर 15-20 दिन में

ध्यान दें कि यह सिफारिशें आपके क्षेत्र में विशेष जलवायु और रोग प्रकोप के आधार पर अलग हो सकती हैं, इसलिए स्थानीय विशेषज्ञों की सलाह भी लें।


एवोकैडो फल कितने दिनों में तयार को जाते है|

एवोकैडो फल को कितने दिनों में पूरी तरह से पकड़ सकते हैं:

एवोकैडो के फल की पूरी प्रबंधन समयावधि और जलवायु के आधार पर भिन्न हो सकती है, लेकिन सामान्यत: जब फल हरा और अच्छे से पका होता है, तो आप इसे काट सकते हैं। इसका स्वाद और बीज का आकार फल के पकने के बाद सही होता है, जो सामान्यतः 5 से 15 दिनों के बीच हो सकता है।

फल को पूरी तरह से पकड़ने की नियमित जांच की महत्वपूर्णता:

एवोकैडो के फल की पूरी तरह से पकड़ने के लिए आपको नियमित रूप से फल की जांच करनी चाहिए। फल की त्वरित और सही तरीके से पकने का सुनिश्चित करने के लिए यह महत्वपूर्ण है क्योंकि बढ़े हुए एवोकैडो फल को वृद्धि करने में समय लगता है और यह उत्तरदायी रूप से पकता है।

फल को हलके हाथ से पकने पर ध्यान दें, और जब यह आसानी से उकेर जाता है और स्वादिष्ट होता है, तो यह सही समय है कटाई के लिए [एवोकैडो की खेती कब और कैसे करें]।

एवोकैडो की खेती कब और कैसे करें

एवोकैडो की फसल को कहां बेचें

आपके एवोकैडो फल को बेचने के लिए बाजार चुनाव:

1. नगरीय बाजार:
यदि आप नगरीय क्षेत्र में अवोकैडो खेती कर रहे हैं, तो सबसे पहले आप अपने फलों को स्थानीय नगरीय बाजारों में बेचने का विचार कर सकते हैं। यहां आपके फलों की आच्छादन आसान हो सकती है और आपको स्थानीय ग्राहकों के साथ अच्छा नेटवर्क बनाने में मदद मिल सकती है [एवोकैडो की खेती कब और कैसे करें]।

2. आग्रो-बाजार (किसान बाजार):
किसान बाजार एक अच्छा विकल्प हो सकता है, खासकर जब आपके पास बड़ी मात्रा में फल होता है। ये बाजार सीधे किसानों के लिए होते हैं और आपको आपके उत्पाद को खुद बेचने का मौका देते हैं। आपके बाएँ और अपने उत्पाद की मार्केटिंग करने के लिए सहायता करने वाले नेटवर्क को मजबूत बनाने के लिए किसान संघों से जुड़ सकते हैं।

3. अग्रो-प्रोसेसिंग यूनिट्स:
अगर आपके पास बड़ी मात्रा में फल होता है और आपका इंफ्रास्ट्रक्चर उपयुक्त है, तो आप अग्रो-प्रोसेसिंग यूनिट्स को अपने फलों को प्रसंस्कृत करने के लिए विचार कर सकते हैं।

ये यूनिट्स फलों को विभिन्न उत्पादों (जैसे कि चटनी, अचार, और अवोकैडो गुद्दा) में प्रसंस्कृत करके उच्च मूल्य विक्रय के लिए एक बेहतर विकल्प प्रदान कर सकते हैं [एवोकैडो की खेती कब और कैसे करें]।

4. ऑनलाइन बाजार और निर्यात:
अगर आप अपने उत्पाद का निर्यात करने का विचार कर रहे हैं, तो आप ऑनलाइन बाजारों और निर्यात कंपनियों से जुड़ सकते हैं। यहां आपके उत्पाद को विश्वासपूर्ण निर्यातग्रहणों के साथ बेच सकते हैं और अंतरराष्ट्रीय बाजार में पहुँच सकते हैं। ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म्स पर अपना व्यापार बढ़ाने के लिए


एवोकैडो की फसलके बारे में लोगो के द्वारा पुछे जाने वाले प्रश्न

क्यू: एवोकाडो कितने साल में फल देता है?

एवोकाडो पेड़ करीब 3 से 4 साल के बाद फल देने लगता है।

एवोकाडो कैसे लगाते हैं?

एवोकाडो का पौधा बीज या पौधों के साथ खरीदकर उगाया जा सकता है, या आप स्थानिक नर्सरी से पौधों को खरीद सकते हैं।

एवोकाडो कितने रुपए किलो है?

एवोकाडो का मूल्य बाजार और क्षेत्र के हिसाब से विभिन्न हो सकता है, लेकिन सामान्यतः यह 100 से 200 रुपए प्रति किलोग्राम के आसपास होता है।

एवोकाडो को हिंदी में क्या कहते हैं?

एवोकाडो को हिंदी में “मक्खन फल” या “बटर फ्रूट” कहा जाता है।


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