पंचगव्य क्या है, इसे कैसे बनाएं और कैसे कृषि में प्रयोग करें

पंचगव्य क्या है: लगातार रसायनिक खादों के प्रयोग से हमारी जमीन की उर्वराक शक्ति कम होती जा रही है | खतरनाक कीटनाशकों और फर्टिलाइजर के उपयोग से जमीन का कार्बन व जैविक प्रक्रिया नष्ट होती जा रही है | जमीन की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने के लिए अपने पूर्वजों द्वारा प्रदान की गई कृषि सूत्रों का प्रयोग करना चाहिए |

पंचगव्य दो शब्दों को मिलकर बना हुआ है पंच व गव्य जिसका अर्थ होता है इसे गाय के पांच उत्पाद :-गोबर , गौमूत्र , दूध दही एवं घी से मिलाकर तैयार किया जाता है | डॉ नटराजन (चिकित्सा व्यवसायी एवं वैज्ञानिक-तामिलनाडू कृषि विश्वविद्यालय ) द्वारा पंचगव्य बनाने की क्रिया में बागवानी एवं कृषि की मांग के अनुरूप परिवर्तन किया गया है |

यह पंचगव्य मृदा के लिए बलवर्धक का कार्य करता है | पंचगव्य के प्रयोग से जमीन के उर्वरक शक्ति बढ़ती है और पौधों की ग्रोथ में भी यह सहायक है | पंचगव्य के लगातार उपयोग से पौधों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है.

पंचगव्य तैयार करने की सामग्री

No

सामग्री

मात्रा

1

गोबर

10  किलोग्राम

2

गौमूत्र

500  ग्राम

3

दूध

2.5  लीटर

4

दही

2.5  लीटर

5

घी

500 ग्राम

 

पंचगव्य क्या है

A

नारियल पानी

1  कप

B

सहद

250 ग्राम

C

गुड़

2.5 किलोग्राम

D

केले

1 दर्जन

पंचगव्य बनाने की विधि

  1. 10 किलो गाय के गोबर को आधा किलो गाय के घी साथ मिक्स करके किसी बर्तन में रख दे |
  2. 5 लीटर दूध को हल्की आंच में उबालें और उसके ठंडा होने के उपरांत उसमें एक कप नारियल का पानी मिक्स कर लें (पूजा में प्रयोग होने वाला नारियल, ऊपर से सूखे लेकिन अंदर से पानी वाले नारियल का ही प्रयोग करें)
  3. 5 ताजा दही में 250 ग्राम शहद को मिक्स करके बर्तन में रख ले | और इसमें एक दर्जन केले का छिलका उतारकर, केले फल को दही,शहद और केले को मिक्स कर लेना है |
  4. उपरोक्त बताएगी सामग्री को तैयार करके छांव में रख लें और 10 लीटर गोमूत्र को छानकर धूप में रख दे |
  5. 48 घंटे के उपरांत इन सभी चीजों को मिक्स कर लें |
  6. इस सामग्री को मिक्स करते हैं समय ध्यान रखें कि गोमूत्र को छोड़कर सारी सामग्री को मिक्स कर लें और आखिर में गोमूत्र को मिक्स करके किसी बर्तन में रख लें और हल्का सा बर्तन का मुंह खुला रहने दे |
  7. पंचगव्य किस मिक्सर को तैयार होने में लगभग है 15 दिन लगेंगे | हर 2 या 3 दिन के बाद आप लकड़ी के डंडे से इसे खिलाते रहे |
  8. पंचगव्य अमृत 15 दिन में तैयार हो जाता है और इसको लगभग 6 महीने तक है किसान अपने खेत में प्रयोग कर सकते हैं |
  9. पंचगव्य को ज्यादा दिन रखने से उसमें छोटे-छोटे कीड़े उत्पन्न हो सकते हैं | इनकी रोकथाम के लिए आप दो से ढाई किलो उसमें गुड मिक्स कर दें, जिससे इसके अंदर ऐसे कैसे कीड़े उत्पन्न नहीं होंगे [पंचगव्य क्या है]|
पंचगव्य क्या है

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पंचगव्य का खेत में कैसे प्रयोग करें :-

फसल में स्प्रे करने के लिए केवल 2% पंचगव्य का प्रयोग करें | 100 लीटर पानी में 2 किलोग्राम पंचगव्य को पानी में मिक्स करके और उसे अच्छी तरह मिक्स करने के उपरांत 48 घंटे के लिए छायादार जगह पर छोड़ दें |

अब इसको आप अपनी फसल के लिए प्रयोग कर सकते हैं लेकिन फसल पर उपयोग से पहले पंचगव्य को अच्छी तरह छान कर फसलों पर स्प्रे कर सकते हैं | फसल की आयु के हिसाब से पंचगव्य की मात्रा 2% से कम या ज्यादा भी कर सकते हैं |

फसल पर पंचगव्य सिचाई  करने की विधि -पंचगव्य भूमि सुधार के लिए भी बहुत उपयोगी है भूमि सुधार के लिए लगभग 6% पानी में मिक्स करके सिचाई में उपयोग कर सकते हैं | लगभग साल में दो बार 5000 लीटर पंचगव्य का घोल खेत में डालने से मिट्टी मुलायम हो जाती है | लेकिन ध्यान रहे हैं पूरा 5000 लीटर में एक समय में प्रयोग ना करें | हर एक सिंचाई में लगभग 200 से 300 लीटर पंचगव्य मिक्स का प्रयोग करें

फसल पर पंचगव्य स्प्रे करने की विधि- दो स्प्रे फूल आने से पहले 15 दिनों के अंतराल पर करे | उसके उपरांत दो स्प्रे फूल से फल / फल्लियां बनते समय 10 दिनों के अंतराल में करे और  एक स्प्रे फल / फलियां परिपक्व|[पंचगव्य क्या है]

पंचगव्य क्या है

पंचगव्य के प्रयोग के लाभ |

  • मिट्टी में सूक्ष्मजीवों की संख्या में बढ़ोत्तरी होती है |
  • पंचगव्य के प्रयोग से पौधे में हरापन बढ़ता हैं क्योंकि इसमें नाइट्रोजन भरपूर मात्रा में पाया जाता है |
  • पंचगव्य के अंदर नाइट्रोजन फास्फोरस और पोटाश के जीवाणु पाए जाते हैं, जो पौधों की बढ़वार में सहायक होते हैं |
  • इसके अंदर ट्राइकोडरमा और सुडोमोनस जैसे मुख्य जीवाणु भी मौजूद होते हैं , जो पौधे को जड़ संबंधी बीमारियां व फफूंद संबंधी बीमारियों से बचाते हैं |
  • पंचगव्य के छिड़काव से पत्तों की ऊपरी सतह पर एक तेलीय परत सी चढ़ जाती है जिससे जल उत्सर्जन में कमी होने से जल का ह्रास कम से कम होता है [पंचगव्य क्या है]।
पंचगव्य क्या है

पंचगव्य बनाते समय क्या क्या सावधानी रखें |

  • पंचगव्य बनाते समय किसी भी धातु के बर्तन का प्रयोग ना करें | केवल मिट्टी या प्लास्टिक के ड्रम का प्रयोग करें, इसके अलावा पंचगव्य को मिक्स करने के लिए केवल लकड़ी का प्रयोग करें |
  • दूध और नारियल पानी को मिक्स करने के लिए दूध का अच्छी तरह ठंडा होना अनिवार्य है |
  • पंचगव्य के पांचों तत्व देसी गाय के होने चाहिए |
  • पंचगव्य की तैयार सामग्री को सदैव छाया में रखें [पंचगव्य क्या है]|

पंचगव्य क्या है: लोगो के द्वारा पुछे जाने वाले प्रश्न

पंच तत्व और पंचगव्य में क्या अंतर है?

पंच तत्व पौधों के मूल घटक होते हैं, जबकि पंचगव्य गोबर, दही, घी, गुड़ और मूत्र का मिश्रण होता है जो पौष्टिक और औषधीय गुणों से भरपूर होता है।

पंचगव्य में केला क्यों डाला जाता है?

पंचगव्य में केला ताकतवर पौष्टिक तत्वों का स्रोत होता है और उसमें विटामिन, पोटैशियम, और आंतिक्रियात्मक गुण होते हैं, इसलिए यह डाला जाता है।

पंचगव्य कितने प्रकार के होते हैं?

पंचगव्य तीन प्रकार के होते हैं: सर्वगव्य, देशगव्य, और गोमूत्र गव्य।

क्या हम पंचगव्य का छिड़काव कर सकते हैं?

हाँ, हम पंचगव्य का छिड़काव कर सकते हैं। यह कृषि में उपयोगी होता है और पौष्टिक खाद के रूप में पौधों के लिए फायदेमंद होता है।



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