ऑर्गेनिक गेहूं की खेती कैसे करे |

भारत में ऑर्गेनिक गेहूं की खेती की मांग सभी राज्यो में बढ़ रही है, लेकिन उत्तराखंड, सिक्किम, राजस्थान, हरियाणा , पंजाब और मध्य प्रदेश ऑर्गेनिक गेहूं की खेती के लिए अच्छे साबित हो सकते हैं क्योंकि यहाँ की मिट्टी और मौसम उपयुक्त हो सकते हैं। आपके स्थान की मौसम और जलवायु की भी खास जाँच कर लें, ताकि आप ऑर्गेनिक गेहूं की खेती में सफलता प्राप्त कर सकें।

ध्यान दें कि ऑर्गेनिक खेती में खाद, बीज, और कीट प्रबंधन के लिए नियमित देखभाल की जरुरत होती है|



ऑर्गेनिक गेहूं खेती के लिए बीज को कहा से ख़रीदे?

ऑर्गेनिक गेहूं के बीज की खरीद के लिए आप स्थानीय कृषि दुकानों, कृषि सहकारी समूहों, या अच्छे जेविक किसानो से मिलवा सकते हैं। यहाँ तक कि आप ऑनलाइन बीज प्लेटफॉर्म्स पर भी जांच कर सकते हैं जो ऑर्गेनिक गेहूं के प्रमुख ब्रांड्स के बीज प्रदान करते हैं।

बीज चुनते समय, सुनिश्चित करें कि वे ऑर्गेनिक और सर्टिफाइड हैं, और स्थानीय मौसम और मिट्टी के अनुसार सामर्थ्य रखते हैं। आप ओर्गानिक बीज जैविक सीड बैंक से भी खरीद सकते है|

ऑर्गेनिक गेहूं की खेती

सबसे अच्छा ऑर्गेनिक गेहूं का बीज कौन सा है?

ऑर्गेनिक गेहूं की खेती के लिए यहां कुछ प्रमुख और परंपरागत पौध प्रजातियां हैं जो आपके खेतों में अच्छे परिणाम दिखा सकती हैं:

  1. कठिया (Kathiya): कठिया गेहूं उत्तर भारत में प्रमुख रूप से पैदा होने वाली किस्म है जिसमें बूटे बड़े और गहरे होते हैं। यह गेहूं अच्छी बुआई के लिए जानी जाती है और इसका आटा रोटी बनाने के लिए उपयुक्त है। कठिया गेहूं आगे बढ़ने वाली जलवायु की भी अच्छी तरह से सही कर सकती है।
  2. खापली (Khapli): खापली गेहूं एक पारंपरिक भारतीय गेहूं की प्रजाति है जो खस्ता भूमि में अच्छे परिणाम दिखा सकती है। इसका बूटा छोटा और गहरा होता है, और इसमें अधिक प्रोटीन होता है जिससे आटे को मजबूती मिलती है।
  3. बंसी (Bansi): बंसी गेहूं भारत के विभिन्न क्षेत्रों में पैदा होने वाली एक अच्छी प्रजाति है। इसमें अच्छी प्रतिफल और बुआई की गुणवत्ता होती है और इसका आटा रोटी, पूरी, और अन्य गेहूं के उत्पादों के लिए उपयुक्त है।
  4. लोकवान (Lokwan): लोकवान गेहूं भी उत्तर भारत के कुछ क्षेत्रों में प्रमुख है और इसमें अच्छी प्रतिफल और बुआई होती है। इसका आटा गेहूं के उत्पादों को बनाने के लिए स्वादिष्टता और स्वस्थता का संगम होता है।
  5. सोना मोती (Sona Moti): सोना मोती गेहूं एक उत्कृष्ट प्रजाति है जिसमें उच्च प्रतिफल और आदर्श बुआई हो सकती है। इसमें सोने जैसी चमक होती है जो इसे अन्य गेहूं से अलग बनाती है, और इसका उपयोग ब्रेड और अन्य पेस्ट्रीज के लिए किया जा सकता है।

ऑर्गेनिक गेहूं के खेत की त्यारी

एक एकड़ ज़मीन के लिए ऑर्गेनिक गेहूं की खेती शुरू करने से पहले, आपको खेत को सामृद्ध करने के लिए विभिन्न जेविक स्रोतों का उपयोग करना होगा:

  1. जीविक खाद (Organic Manure): शुरूवात में, आपको अच्छी तरह से तयार हुआ जीविक खाद जैसे कंपोस्ट या गोबर की खाद का उपयोग करना चाहिए। एक एकड़ ज़मीन के लिए, आपको प्रायः 5-10 टन जीविक खाद की आवश्यकता हो सकती है। यह महत्वपूर्ण पोषण तत्व प्रदान करेगा और मिट्टी की संरचना को सुधारेगा।
  2. माइक्रोन्यूट्रिएंट्स (Micronutrients): मिट्टी के परीक्षण के परिणामों के आधार पर, आपको खद्द, तांतू, और बोरॉन जैसे माइक्रोन्यूट्रिएंट्स का उपयोग करने की आवश्यकता हो सकती है। उनकी मात्रा मिट्टी के परीक्षण से पता चलेगी। माइक्रोन्यूट्रिएंट्स पौधों के विकास के लिए आवश्यक होते हैं।
  3. जिप्सम (Gypsum): जिप्सम मिट्टी की संरचना में सुधार करने और कुछ मिट्टियों के अल्कलिनता को कम करने में मदद कर सकता है। इसकी मात्रा आपकी मिट्टी की विशेष विशेषताओं पर निर्भर करेगी। मिट्टी के विशेष विशेषताओं का पता करने के लिए एक मिट्टी का परीक्षण करवाना महत्वपूर्ण है।
  4. जैविक खाद (Organic Fertilizer): पौधों को अतिरिक्त पोषण प्रदान करने के लिए जैविक खाद जैसे नीम केक, बोन मील, और अन्य स्थानीय उपलब्ध जेविक स्रोतों का उपयोग करें। इसकी मात्रा मिट्टी के परीक्षण से पता चलेगी।

यह महत्वपूर्ण है कि आप अपनी ऑर्गेनिक गेहूं की खेती को शुरू करने से पहले मिट्टी के विशेष आवश्यकताओं को समझने के लिए मिट्टी की परीक्षण करवाएं। परीक्षण के परिणामों के आधार पर, आप निर्धारित कर सकते हैं कि कितनी और किस प्रकार की ऑर्गेनिक जेविक स्रोतों की आवश्यकता है।

साथ ही, फसल पालटी और अन्य ऑर्गेनिक खेती विधियों का भी पालन करके, आप मिट्टी के स्वास्थ्य और उत्पादकता को बनाए रख सकते हैं।

ऑर्गेनिक गेहूं की खेती

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ऑर्गेनिक गेहूं के लिए कौन सा उर्वरक सबसे अच्छा है?

निम्नलिखित तालिका में, मैं आपको एक एकड़ खेत के लिए ऑर्गेनिक गेहूं की खेती के लिए जैविक खाद, जीवा अमृत, वर्मीकॉम्पोस्ट, और हरी कम्पोस्ट की सुझावित मात्रा इस प्रकार है :

दिनउर्वरकमात्रातरीका
1जीवामृत200 लीटर प्रति एकड़खेत में डाले करें
7वर्मीकम्पोस्ट500 किलो प्रति एकड़खेत में समान रूप से फैलाएं
14हरी खाद1 टन प्रति एकड़खेत में समान रूप से फैलाएं और जुताई करें
21जीवामृत200 लीटर प्रति एकड़खेत में डाले करें
28जीवामृत200 लीटर प्रति एकड़खेत में डाले करें
35जीवामृत200 लीटर प्रति एकड़खेत में डाले करें
42जीवामृत200 लीटर प्रति एकड़खेत में डाले करें
49जीवामृत200 लीटर प्रति एकड़खेत में डाले करें
56जीवामृत200 लीटर प्रति एकड़खेत में डाले करें
63जीवामृत200 लीटर प्रति एकड़खेत में डाले करें
70जीवामृत200 लीटर प्रति एकड़खेत में डाले करें
  • जैविक खेती में उर्वरकों का उपयोग करते समय, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि पौधों को पोषक तत्वों की एक संतुलित मात्रा की आवश्यकता होती है। जैविक उर्वरक पौधों को सभी आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करते हैं और मिट्टी की उर्वरता में भी सुधार करते हैं।
  • जीवामृत एक बहुउद्देश्यीय जैविक उर्वरक है जो गोबर, गौमूत्र, गुड़, आटा और पानी के मिश्रण से बनाया जाता है। इसका उपयोग मिट्टी की उर्वरता में सुधार करने, पौधों की वृद्धि को बढ़ावा देने और कीटों और रोगों से बचाने के लिए किया जा सकता है।
  • वर्मीकम्पोस्ट एक और बहुउद्देश्यीय जैविक उर्वरक है जो केंचुओं द्वारा कचरे को विघटित करके बनाया जाता है। इसमें पोषक तत्वों की एक उच्च सांद्रता होती है और यह मिट्टी की संरचना और जल धारण क्षमता में सुधार करने में भी मदद करता है।
  • हरी खाद एक प्रकार की जैविक खाद है जो पौधों को मिट्टी में मिलाकर बनाई जाती है। यह मिट्टी की उर्वरता में सुधार करने, पौधों की वृद्धि को बढ़ावा देने और कीटों और रोगों से बचाने में मदद करता है।

जैविक उर्वरकों का उपयोग करके जैविक गेहूं की खेती करना पर्यावरण के लिए अच्छा है और इससे उपभोक्ताओं के लिए स्वस्थ भोजन का उत्पादन होता है।

ऑर्गेनिक गेहूं की खेती

ऑर्गेनिक गेहूं की फसल की बीमारियों लिए स्प्रे

जैविक गेहूं की खेती में होने वाली बीमारियाँ और उनकी दवाइयाँ

बीमारी का नामदवा का नामछिड़काव का समय
गेहूँ की पत्ती की जंग (Leaf rust)गोमूत्र और नीम के तेल का मिश्रणपत्तियों पर जंग के लक्षण दिखाई देने पर
गेहूँ की पीली किट (Yellow rust)गाय का दूध, गोमूत्र और नीम के तेल का मिश्रणपत्तियों पर पीले धब्बे दिखाई देने पर
गेहूँ की धारीदार किट (Stripe rust)गोमूत्र और लहसुन के अर्क का मिश्रणपत्तियों पर धारियाँ दिखाई देने पर
गेहूँ का पाउडरी फफूंद (Powdery mildew)गाय का दूध, गोमूत्र और बेकिंग सोडा का मिश्रणपत्तियों पर सफेद पाउडर दिखाई देने पर
गेहूँ का सेप्टोरिया भूरा धब्बा (Septoria brown spot)गोमूत्र और नीम के तेल का मिश्रणपत्तियों पर भूरे धब्बे दिखाई देने पर
गेहूँ का ब्लास्ट (Blast)गोमूत्र और अदरक के अर्क का मिश्रणपत्तियों पर सफेद धब्बे दिखाई देने पर
गेहूँ का फुसैरियम मुरझाना (Fusarium head blight)गोमूत्र और लहसुन के अर्क का मिश्रणफसल के फूल निकलने पर
गेहूँ का लाल तुला रोग (Red rot)गोमूत्र और नीम के तेल का मिश्रणफसल के फल लगने पर
गेहूँ का काला तुला रोग (Black rot)गोमूत्र और अदरक के अर्क का मिश्रणफसल के पकने पर
जैविक खेती में रोगों और कीटों की रोकथाम पर ध्यान देना चाहिए। इसके लिए आप फसल चक्र का उपयोग कर सकते हैं, जैविक खादों का उपयोग कर सकते हैं और खरपतवारों को नियंत्रित कर सकते हैं।
यदि आपको अपनी फसल में कोई बीमारी दिखाई देती है, तो उसे तुरंत पहचानें और जैविक दवाइयों का उपयोग करके उसका उपचार करें।
जैविक दवाइयाँ पौधों को नुकसान नहीं पहुँचाती हैं और पर्यावरण के लिए भी सुरक्षित होती हैं।
जैविक दवाइयों का छिड़काव सुबह या शाम को करना चाहिए जब मौसम ठंडा हो।
छिड़काव करते समय पत्तियों के दोनों तरफ दवा का छिड़काव करना सुनिश्चित करें।
जैविक गेहूं की खेती करके आप स्वस्थ और सुरक्षित भोजन का उत्पादन कर सकते हैं और पर्यावरण को भी बचा सकते हैं।

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ऑर्गेनिक गेहूं फसल की बिक्री कहां करें:

  • किसान बाजार: यदि आप अपने जैविक गेहूं की फसल को किसान बाजार में बेचना चाहते हैं, तो आपको किसान बाजार में एक स्टॉल बुक करना होगा। इसके लिए आपको किसान बाजार के आयोजकों से संपर्क करना होगा।
  • डिजिटल बाजार स्थलों पर बेचें: आजकल, आप ऑनलाइन बाजार स्थलों जैसे कि ‘एग्रीमार्केट्स’, ‘कृषि मंडी’, और ‘बिजो व्यापार’ पर भी अपने ऑर्गेनिक गेहूं को बेच सकते हैं। यह आपको विशेषज्ञता और दुनियाभर के ग्राहकों तक पहुंचने का अवसर प्रदान कर सकता है।
  • निजी खरीददारों से संपर्क स्थापित करें: आप निजी खरीददारों और व्यापारिक संगठनों के साथ संपर्क स्थापित करके भी अपने ऑर्गेनिक गेहूं को बेच सकते हैं। यह आपको एक निश्चित विकल्प प्रदान कर सकता है और आपके उत्पाद के लिए दिशा में सहायक हो सकता है।
ऑर्गेनिक गेहूं की खेती

ऑर्गेनिक गेहूं के खेती के फायदे और नुकसान :-

आपके लिए फायदे और नुकसानों के साथ ऑर्गेनिक गेहूं की खेती के बारे में एक सरल तालिका:

प्रकारफायदेनुकसान
1. स्वास्थ्य के लिए बेहतर– ऑर्गेनिक गेहूं में कीटाणुनाशकों की कमी होती है, जो खाने में सुरक्षितता बढ़ाती है।– इसकी उम्र थोड़ी कम हो सकती है, जिससे उपभोक्ता को ज्यादा खर्च करना पड़ सकता है।
2. प्राकृतिक जीवों की सुरक्षा– बिना कीटाणुनाशकों का प्रयोग किए, ऑर्गेनिक गेहूं की खेती प्राकृतिक जीवों को बचाती है।– कीटों का संकट हो सकता है, क्योंकि कीटाणुनाशकों का उपयोग नहीं होता।
3. उत्पादन में मानक गुणवत्ता– ऑर्गेनिक गेहूं में खाद, खाद्य संसाधन, और पोषण की मानक गुणवत्ता होती है।– उत्पादों की सब्जी की तरह रखवाली करनी पड़ सकती है, क्योंकि इसकी उम्र अधिक नहीं होती।
4. जलवायु के साथ संगठन– इससे पृथ्वी के जलवायु को सुधारा जा सकता है क्योंकि यह कार्बन पाईड आयाम में कमी करता है।– इसकी उत्पादन में ज्यादा मेहनत और सामग्री की अधिक आवश्यकता होती है।
5. बेहतर स्वाद और पोषण– इसका स्वाद और पोषण मानक गेहूं से अच्छा होता है।– आवश्यक स्थितियों में उत्पादन में कमी हो सकती है, जिससे अपातकालिक आहार की कमी हो सकती है।

आपके क्षेत्र, जलवायु, और आवश्यकताओं के हिसाब से फैसला लेने से पहले ऑर्गेनिक गेहूं की खेती के फायदे और नुकसानों का ध्यानपूर्वक विचार करें।



ऑर्गेनिक गेहूं की खेती से कितना पैसा कमाया जा सकता है?

पैसा कमाने की संभावना:

ऑर्गेनिक गेहूं की खेती एक लाभकारी विकल्प हो सकती है, यहां तक ​​कि कई किसान इसे अधिक मुनाफा कमाने का साधन मान रहे हैं। इसमें शामिल होने वाले उच्च मूल्य और आच्छादित बाजार में उत्पाद एक अमूर्त समृद्धि के साथ जुड़े होते हैं।

ऑर्गेनिक गेहूं की मांग बढ़ रही है और उपभोक्ताओं की स्वास्थ्यशास्त्रीय जागरूकता के साथ, इसका बाजार सदैव बढ़ता हुआ है। इसमें कम कीटाणुनाशकों का प्रयोग, प्राकृतिक खाद्य स्रोतों का उपयोग, और जलवायु-सहिष्णु गेहूं के पैदावार की संभावना होती है, जो उत्पादन में वृद्धि को प्रोत्साहित करता है।

चुनौतियां

हालांकि ऑर्गेनिक गेहूं की खेती मुनाफे में वृद्धि कर सकती है, यह चुनौतियों से भरी हो सकती है। इसमें उत्पादन की चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, जैसे कि उच्च मेहनत, अधिक समय और शायद आधुनिक कृषि तकनीक की कमी। इसमें कुछ क्षेत्रों में आधुनिक कृषि उपकरणों का उपयोग करने की आवश्यकता हो सकती है,

जिससे निवेश की जरूरत होती है। इसके बावजूद, ध्यानपूर्वक योजना बनाकर और उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों के लिए बाजार में प्रतिस्थापना करके, किसान ऑर्गेनिक गेहूं की खेती से सफलता प्राप्त कर सकते हैं।

ऑर्गेनिक गेहूं की खेती

ऑर्गेनिक गेहूं की खेती : लोगो के द्वारा पुछे जाने वाले प्रश्न

गेहूं की जैविक खेती कैसे की जाती है?

गेहूं की जैविक खेती में, कीटाणुनाशकों का नहीं प्रयोग किया जाता है, प्राकृतिक खाद्य स्रोतों का उपयोग किया जाता है, और बिना हानिकारक कीटों के खिलाफ प्राकृतिक संरक्षण की दिशा में कदम उठाया जाता है।

जैविक गेहूं का क्या भाव है?

जैविक गेहूं वह गेहूं है जो बिना कीटाणुनाशकों और सिंथेटिक कीटनाशकों के प्रयोग के उत्पन्न किया गया है, और इसका खेती में प्राकृतिक तरीकों का पालन किया गया है।

ऑर्गेनिक गेहूं का बीज सबसे अच्छा कौन सा है?

बीज की चयन में स्थानीय जलवायु और भूमि की आवश्यकताओं के हिसाब से, स्थानीय जैविक गेहूं के बीज सबसे अच्छे हो सकते हैं।

क्या गेहूं को जैविक होना चाहिए?

हां, जैविक गेहूं को कीटाणुनाशकों और सिंथेटिक खाद्य स्रोतों के बिना उत्पन्न किया जाना चाहिए।

ऑर्गेनिक गेहूं का मूल्य क्या है?

ऑर्गेनिक गेहूं की मूल्य अधिक हो सकती है क्योंकि उसकी खेती में अधिक मेहनत और प्राकृतिक खाद्य स्रोतों का उपयोग किया जाता है।

ऑर्गेनिक और रेगुलर आटे में क्या अंतर है?

ऑर्गेनिक आटा उस गेहूं से बनता है जिसकी जैविक खेती की गई है, जबकि रेगुलर आटा किसानों द्वारा पारंपरिक तरीके से उत्पन्न किया जाता है, जिसमें कीटाणुनाशकों का प्रयोग किया जा सकता है।

ऑर्गेनिक गेहूं की अधिक पैदावार के लिए क्या करना चाहिए?

अधिक पैदावार के लिए, सुरक्षित जलवायु, उच्च गुणवत्ता वाले बीज, प्राकृतिक खाद्य स्रोतों का सही उपयोग, और अच्छी खेती प्रथाओं का पालन करना चाहिए।


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