भारत में स्टीविया की खेती कब और कैसे करें: स्टीविया की खेती का विचार सोचने के लिए भारत में गुजरात और महाराष्पुटर व उतर भारत के कुछ क्षेत्र में उपयुक्त है। यहाँ की जलवायु और मिट्टी स्टीविया के पौधों के लिए उपयुक्त हैं। स्टीविया का पौधा गर्मी और सूखे को सह सकता है, लेकिन उसके लिए अच्छी जलसंपदा चाहिए।
गुजरात में स्टीविया की मांग बढ़ रही है, क्योंकि यह स्वास्थ्य के लिए लोकप्रिय हो रहा है, खासकर डायबिटीज रोगियों के लिए। पुणे क्षेत्र में भी स्टीविया की खेती के लिए मांग है, खासकर खाद्य उद्योगों और आयुर्वेदिक उत्पादों में।
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भारत में स्टीविया की खेती कब और कैसे करें?
भारत में, स्टीविया की खेती करने के लिए सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च के बीच होता है। इस समय की जलवायु और मौसम स्टीविया के पौधों के लिए बेहद उपयुक्त होती है, क्योंकि यह ठंडी और गर्मी का सही मिश्रण प्रदान करती है। अक्टूबर से आप पौधों को बोने और मार्च में उन्हें काट सकते हैं।
स्टीविया की खेती के लिए न्यूनतम तापमान 10 डिग्री सेल्सियस और अधिकतम तापमान 35 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए।[भारत में स्टीविया की खेती कब और कैसे करें]।

स्टीविया की खेती के लिए बीज को कहा से ख़रीदे?
स्टीविया की खेती के लिए बीज स्थानीय कृषि विभाग, कृषि संगठन, या खेती से जुड़े विशेषज्ञों खरीदने सकते हैं। वे आपको स्थानीय बाजारों या किसानों से संपर्क करने के लिए मार्गदर्शन प्रदान कर सकते हैं, जिनसे आप स्टीविया के बीज प्राप्त कर सकते हैं।
यह सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है कि आप अच्छे गुणवत्ता वाले और प्रमाणित बीजों का ही चयन करें जो आपकी खेती को सफल बना सकते हैं।
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स्टीविया की कौन सी किस्म सबसे अच्छी होती है?
स्टीविया की खेती के लिए भारत में कई अच्छी जातियाँ उपलब्ध हैं, जिनमें खेती करने के लिए यहाँ पर 9 बेहतरीन पौधों के नाम दिए जा रहे हैं:
- स्टीविया रिबौडियाना (Stevia Rebaudiana) – यह सबसे प्रसिद्ध स्टीविया जाति है और भारत में उपलब्ध है। यह अच्छा पौधा है और अच्छे उत्पादन का स्रोत हो सकता है।
- स्टीविया बर्टोनियाना (Stevia Bertoni) – यह एक और प्रसिद्ध स्टीविया जाति है जिसकी खेती की जा सकती है। इसके पौधे भी उत्पादक हो सकते हैं।
- स्टीविया कोकोक्रिस्टी (Stevia Cococristi) – यह एक अच्छा स्टीविया पौधा हो सकता है और उचित देखभाल के साथ अच्छे उत्पादन का स्रोत बना सकता है।
- स्टीविया सीरियाना (Stevia Serrata) – यह भी एक अच्छी स्टीविया जाति है जिसे भारत में खेती किया जा सकता है।
- स्टीविया इंटरमीडिया (Stevia Intermedia) – इस जाति के पौधे भी स्टीविया की खेती के लिए उपयुक्त हो सकते हैं।
- स्टीविया गल्लिका (Stevia Galla) – यह एक अच्छा उपजाऊ पौधा हो सकता है और स्टीविया की खेती के लिए उपयुक्त होता है।
- स्टीविया अरेसेडियना (Stevia Areschougiana) – इस जाति के पौधे भी स्टीविया की उच्च गुणवत्ता वाली खेती के लिए उपयुक्त हो सकते हैं।
- स्टीविया फीरीना (Stevia Phyllocladus) – यह भी एक अच्छा पौधा हो सकता है और स्टीविया की खेती के लिए उपयुक्त हो सकता है।
- स्टीविया पुटेंसिस (Stevia Potensis) – यह भी एक अच्छी स्टीविया जाति है जिसे खेती किया जा सकता है।
यदि आप स्टीविया की खेती करने का निर्णय लेते हैं, तो स्थानीय कृषि विशेषज्ञों से और खेती के अनुभवी किसानों से सलाह लें [भारत में स्टीविया की खेती कब और कैसे करें]।
स्टीविया की खेती के लिए नर्सरी कैसे तयार करे?
स्टीविया की खेती के लिए नर्सरी तैयार करने के लिए, सबसे पहले आपको स्टीविया के बीज का चयन करना होगा। यह बीज एक प्रारंभिक विकसन दौर में पौधों को उगाने के लिए उपयुक्त होते हैं। बीजों को दिखाई देने से पहले, आपको उन्हें पूरी तरह से सूखने देना चाहिए। फिर एक पौधों की नर्सरी तैयार करें, जिसमें आप बीज उगा सकते हैं।
नर्सरी के लिए एक उचित मिट्टी का मिश्रण तैयार करें, जिसमें खाद्य की खाद और बालू की मिट्टी हो सकती है। बीजों को ध्यान से बोने और उन्हें नर्सरी में बोने, फिर उन्हें अच्छे से पानी दें और पौधों की देखभाल के लिए उचित जल संचालन करें। इसके बाद, पौधों को धूप और अच्छे हवाओं के साथ सुरक्षित जगह पर रखें ताकि वे अच्छे से बढ़ सकें।
स्टीविया की नर्सरी की देखभाल के दौरान, पौधों को नियमित रूप से पानी दें, और खराब पौधों को हटा दें। स्टीविया के पौधों को तब खर्दने का समय आता है जब वे 6-8 हफ्तों के होते हैं और उनमें कम से कम 2-3 पत्तियां होती हैं। इन पौधों को ध्यानपूर्वक खरदने के बाद आप उन्हें खेत में ट्रांसप्लांट कर सकते हैं और खेती की शुरुआत कर सकते हैं।
स्टीविया की खेती के लिए बेड और मल्चिंग की तैयारी:
बेड और मल्चिंग की तैयारी:
स्टीविया के पौधों की खेती के लिए एक उचित बेड और मल्चिंग की तैयारी महत्वपूर्ण होती है। सबसे पहले, एक बेड तैयार करें जिसकी ऊर्जा पूर्व-पश्चिम की ओर हो, ताकि पौधों को सुबह की सूर्यकिरण मिल सके। बेड की धारिता को सुनिश्चित करने के लिए, आपको उसकी अच्छी द्रैनेज की भी जरुरत होती है, ताकि पानी जमा न रहे।
बेड के लिए उपयुक्त मिट्टी में खाद्य की खाद और बालू की मिट्टी का एक अच्छा मिश्रण तैयार करें। उसके बाद, पौधों के बीजों को बोने, और उन्हें अच्छे से दबाकर बेड की मल्चिंग करें।
मल्चिंग स्टीविया पौधों की देखभाल में महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह उन्हें गर्मी से बचाता है और पौधों को नमी और जलवायु परिवर्तनों से सुरक्षित रखता है। मल्चिंग के लिए आप खुदाई की गई खाद्य की खाद, बालू की मिट्टी, या गुब्बर का प्रयोग कर सकते हैं। इसे पौधों के चारों ओर अच्छी तरह से फैलाएं ताकि पौधों को विशेषत: गर्मी की सुरक्षा मिले।
पौधों के बीच की दूरी:
पौधों के बीच की दूरी को सही तरीके से बनाए रखना खेती के उत्पादन को प्रभावित कर सकता है। स्टीविया पौधों के बीच की दूरी को आमतौर पर 20 सेंटीमीटर (आठ इंच) या आपके स्थान और पौधों की वृद्धि के हिसाब से बनाएं। इस दूरी को बनाए रखने से पौधे स्वस्थ और खूबसूरत बनते हैं और उत्पादन को बढ़ावा देते हैं[भारत में स्टीविया की खेती कब और कैसे करें],
क्योंकि वे अच्छे से विकसित हो सकते हैं और सूर्यकिरणों को अच्छे से प्राप्त कर सकते हैं।
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स्टीविया की खेती के लिए खेत की तयारी कैसे करे?
पौधों की प्रकृति | खेत में डालने वाला उर्वरक और खाद्य |
---|---|
घोबर खाद | स्टीविया पौधों के लिए घोबर खाद उपयुक्त होती है, इससे पौधों को मिट्टी में आवश्यक खाद्य प्राप्त होता है और पौधों की गुणवत्ता बढ़ती है। |
माइक्रोन्यूट्रिएंट्स | माइक्रोन्यूट्रिएंट्स जैसे कि जिंक, बोरॉन, कॉपर, और मैंगनीज़, स्टीविया के लिए महत्वपूर्ण होते हैं क्योंकि वे पौधों के सार्वजनिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करते हैं। इन माइक्रोन्यूट्रिएंट्स को मिट्टी में मिलाना चाहिए, ताकि पौधे सही रूप से विकसित हो सकें। |
उर्वरक | स्टीविया के पौधों के लिए उर्वरक का सही मात्रा में प्रयोग करना आवश्यक होता है। आप निष्कर्ष उर्वरक जैसे कि NPK (नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटासियम) का मिश्रण उपयोग कर सकते हैं, जो पौधों की सही विकसन के लिए महत्वपूर्ण है। |
ध्यान दें कि स्टीविया की विशेष खेती के लिए स्थानीय मिट्टी और मौसम की शर्तों को ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है, और आपको स्थानीय कृषि विशेषज्ञों से सलाह लेनी चाहिए, ताकि आप सही उर्वरक और खाद्य की जरुरतों को समझ सकें[भारत में स्टीविया की खेती कब और कैसे करें]।
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स्टीविया की फसल के लिए फर्टिगेशन
चरण | उर्वरक और खाद्य | मात्रा |
---|---|---|
प्रारंभ | 1. स्टीविया की खेत में गोबर खाद का प्रयोग करें, जो मिट्टी को मृदु बनाती है और खाद्य प्रदान करती है। | एक एकड़ खेत के लिए लगभग 10-15 टन गोबर खाद की आवश्यकता होती है। |
2. खेत में माइक्रोन्यूट्रिएंट्स जैसे कि जिंक, बोरॉन, कॉपर, और मैंगनीज़ को मिलाएं, जो पौधों की उच्च गुणवत्ता वाले विकसन के लिए महत्वपूर्ण हैं। | यकीनन आपको अपनी मिट्टी की जांच करवानी चाहिए, और फिर माइक्रोन्यूट्रिएंट्स को मिलाने की आवश्यकता के अनुसार मात्रा तय करनी चाहिए। | |
विकसन | 1. पौधों की देखभाल के दौरान उर्वरक की फर्टिगेशन का उपयोग करें, जो नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, और पोटासियम (NPK) को प्रदान करेगा। | आप प्रति एकड़ खेत के लिए लगभग 100-120 किलोग्राम NPK उर्वरक का प्रयोग कर सकते हैं, और इसे पौधों की आवश्यकताओं के आधार पर बदल सकते हैं। |
2. माइक्रोन्यूट्रिएंट्स को पौधों को पूर्णरूप से विकसित करने के लिए उपयोग करें। यदि आपके पास उपलब्ध है, तो इन माइक्रोन्यूट्रिएंट्स को फोलियर स्प्रे के रूप में भी लागू कर सकते हैं। | माइक्रोन्यूट्रिएंट्स की मात्रा को स्थानीय मिट्टी की जांच के आधार पर निर्धारित करें, लेकिन सामान्यत: प्रति एकड़ खेत के लिए 2-3 किलोग्राम माइक्रोन्यूट्रिएंट्स की आवश्यकता होती है। | |
फुल डेवलपमेंट और उत्पादन | 1. स्टीविया के पौधों की समय-समय पर फर्टिगेशन करें, ताकि वे उच्च गुणवत्ता वाले फूल और पत्तियां विकसित कर सकें। | फुल डेवलपमेंट के दौरान, आप प्रति एकड़ खेत के लिए प्रति सप्ताह 2-3 बार NPK उर्वरक का प्रयोग कर सकते हैं। |
2. प्रति एकड़ खेत के लिए साप्ताहिक रूप से माइक्रोन्यूट्रिएंट्स को प्रयोग करना जारी रखें। | माइक्रोन्यूट्रिएंट्स की मात्रा को उपयुक्त सलाह और मिट्टी की जांच के आधार पर निर्धारित करें, लेकिन सामान्य |
समापन | सबसे अंत में, सफल स्टीविया उत्पादन के लिए उचित खाद्य, उर्वरक, और माइक्रोन्यूट्रिएंट्स का उपयोग करना महत्वपूर्ण है। | आपको स्थानीय मिट्टी और मौसम की शर्तों के आधार पर उपयुक्त उर्वरक की मात्रा को निर्धारित करने में मदद करने के लिए स्थानीय कृषि विशेषज्ञों से सलाह लेनी चाहिए। |
इस तरह, आप स्टीविया की खेती के लिए उचित खाद्य, उर्वरक, और माइक्रोन्यूट्रिएंट्स का उपयोग करके उच्च गुणवत्ता वाली पैदावार प्राप्त कर सकते हैं। ध्यान दें कि मात्राओं को स्थानीय मिट्टी और पौधों की आवश्यकताओं के आधार पर समय-समय पर समायोजित करना महत्वपूर्ण है, और आपको किसान सलाहकार से सलाह लेना चाहिए।

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स्टीविया खेती के लिए स्प्रे शेड्यूल
बीमारी | दवा का नाम | स्प्रे की अनुसूची |
---|---|---|
स्टीम रोट | मेटालैक्सील (Metalaxyl) | रोग प्रारंभ होने पर प्रति 15-20 दिन के अंतराल पर स्प्रे करें। |
अल्टरनारिया ब्लाइट | मेनकोजेब (Mancozeb) | सड़कें छापने से पहले, फिर प्रति 10-12 दिन के अंतराल पर स्प्रे करें। |
लीफ स्पॉट | मैनकोजेब (Mancozeb) | रोग प्रारंभ होने पर प्रति 10-12 दिन के अंतराल पर स्प्रे करें। |
ब्लैक रूट रोट | फोसेटील एल (Fosetyl-Al) | सड़कें छापने से पहले, फिर प्रति 15-20 दिन के अंतराल पर स्प्रे करें। |
व्हाइट फ्लाई | इमिडाक्लोप्रिड (Imidacloprid) | पौधों पर पेड़ आने पर या बीमारी के संकेत के साथ, प्रति 15 दिन के अंतराल पर स्प्रे करें। |
आपको यह याद रखना चाहिए कि स्टीविया की खेती के दौरान अगर इन बीमारियों के संकेत मिलते हैं, तो तुरंत उपचार करें। बीमारियों के खिलाफ सुरक्षा उपायों का पालन करें और उर्वरक की सही मात्रा और समय पर उपयोग करें।
इसके साथ ही, स्थानीय कृषि विशेषज्ञों से नियमित रूप से पूर्वावलोकन और सलाह लें, ताकि आपकी स्टीविया खेती स्वस्थ और उत्तराधिकारी हो सके [भारत में स्टीविया की खेती कब और कैसे करें]।
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स्टीविया की पैदावार कब और कितने दिनों में?
स्टीविया की पैदावार कब और कितने दिनों में करें (Harvesting Stevia Crop Timing): स्टीविया पौधों की पैदावार करने का सही समय उसके पौधों के उच्चतम मिष्टानी स्तर को प्राप्त करने के बाद होता है, जो सामान्यत: 90 से 120 दिनों में हो जाता है। इस समय, स्टीविया की पत्तियां मीठी हो जाती हैं और पूरी तरह से विकसित हो जाती हैं।
पैदावार के समय, पौधों की पत्तियां काट लें, और उन्हें सूखा दें या प्रोसेस करें ताकि आप स्वास्थ्यवर्धक स्टेवियोसाइड्स का उपयोग कर सकें। सही समय पर पैदावार करने से आप स्टीविया की उच्च गुणवत्ता और मिष्टानी का सही स्तर प्राप्त कर सकते हैं, जिससे आपकी खेती सफल होगी।
स्टीविया फसल को कहां बेचें
स्टीविया पैदावार की बेचाई कैसे करें (How to Sell Your Stevia Crop):
- स्थानीय मंडी या किसान बाजार (Local Mandis or Farmer Markets): स्थानीय मंडियों या किसान बाजारों में अपनी स्टीविया पैदावार को बेचना एक सामान्य विकल्प हो सकता है। यहां आपके खेती के उत्पादों का स्थानीय बाजार में बिक्री हो सकता है, लेकिन आपको यह देखना होगा कि स्थानीय मंडियों में स्टीविया की मांग है या नहीं।
- कोऑपरेटिव सोसायटियों और अन्य ग्राहकों के साथ समझौता (Cooperative Societies and Contracts with Buyers): किसान सहकारी समूहों के साथ मिलकर या खरीदारों के साथ समझौता करके आप अपने स्टीविया की पैदावार की बेचाई कर सकते हैं। यह एक स्थिर बाजार को स्थापित करने में मदद कर सकता है और आपको खरीदारों के साथ निर्माणात्मक संबंध बनाने में मदद कर सकता है।
- खुद से बेचना (Direct Sales): आप खुद से खरीदारों के साथ संपर्क करके और अपने उत्पादों को सीधे बेचकर भी पैदावार को बेच सकते हैं। इसके लिए आप नैर्मित व्यापारिक नेटवर्क बना सकते हैं और अपने उत्पादों को खुद की कीमत पर बेच सकते हैं।
- ऑनलाइन बाजार (Online Markets): आजकल ऑनलाइन बाजारों पर भी स्टीविया की पैदावार को बेचने का विकल्प है। आप ऑनलाइन खरीदारों के साथ समझौता कर सकते हैं और अपने उत्पादों को ऑनलाइन बाजारों पर बेच सकते हैं।

स्टीविया की खेती के फायदे और नुकसान
स्टीविया की खेती के फायदे और नुकसान को समझने में मदद करने के लिए, निम्नलिखित प्रकार के तत्वों को ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है:
स्टीविया की खेती के फायदे (Benefits of Stevia Farming):
- स्वास्थ्य से जुड़े लाभ (Health Benefits): स्टीविया पौधों से प्राप्त किया जाने वाला मिष्टानी प्रिन्सिपल स्टेवियोसाइड कुछ मिनटों में उपचारिक मानदंड में शुगर के स्तर को कम कर सकता है, जिससे डायबीटीज के रोगियों को लाभ होता है।
- काम लागत (Low Input Costs): स्टीविया की खेती के लिए काम लागत की आवश्यकता होती है, क्योंकि यह पौधे कम जल, खाद्य, और उर्वरक की आवश्यकता होती है।
- बाजार में डिमांड (Market Demand): स्टीविया के प्रोडक्ट्स की मांग विश्वभर में बढ़ रही है, खासकर स्वास्थ्य-संबंधित उत्पादों के लिए। इससे आपकी पैदावार को बेचने में मदद मिल सकती है।
- पर्यावरण का संरक्षण (Environmental Conservation): स्टीविया की खेती के लिए जल की कम आवश्यकता होती है, जो पानी की बचत करती है और सुस्त पानी स्रोतों को संरक्षित रखने में मदद करती है।
स्टीविया की खेती के नुकसान (Drawbacks of Stevia Farming):
- बाजार की उपेक्षा (Market Neglect): स्टीविया की खेती बाजार में अभी तक उपेक्षित हो सकती है, क्योंकि इसका बाजार विकसित नहीं है, और खेतकारों को ठीक मूल्य नहीं मिल सकता।
- प्रोडक्ट डिवर्सिफिकेशन (Product Diversification): स्टीविया की पैदावार को उपयोग करने के लिए योग्य प्रोडक्ट्स की विकसन में लगे रहना हो सकता है, जो कुछ समय लग सकता है।
- किमत में उतार-चढ़ाव (Price Fluctuations): स्टीविया की किमतों में बाजार के बदलते दौरों के कारण उतार-चढ़ाव हो सकता है, जिससे किसानों की मुनाफा कम हो सकता है।
- पौधों की ज्यादा देखभाल (Intensive Care): स्टीविया के पौधों की अधिक देखभाल की आवश्यकता होती है, और यह प्रौद्योगिकी ज्ञान की जरूरत है, जिससे किसानों को अधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।
स्टीविया की खेती के फायदे और नुकसान क्षेत्रीय और बाजारीय परिस्थितियों पर निर्भर करते हैं, इसलिए आपको इसे कैसे बेहतरीन तरीके से व्यवसायिक रूप से प्रबंधित करने के लिए स्थानीय बाजार की मांग और खेती की बेहतर तकनीकों की सलाह लेने की आवश्यकता होती है।
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स्टीविया की खेती: लोगो के द्वारा पुछे जाने वाले प्रश्न
स्टीविया कितने रुपए किलो बिकता है?
स्टीविया की बिक्री मूल्य बाजार और क्षेत्र के हिसाब से अलग होती है, 22 सितंबर, 2023 को भारत में स्टीविया पाउडर की कीमत ₹689 से ₹1,126 प्रति किलोग्राम के बीच है
स्टीविया के पौधे कैसे प्राप्त करें?
स्टीविया के पौधे नर्सरी से खरीदकर या अपने बीज से उगा कर प्राप्त किए जा सकते हैं।
मैं स्टीविया फार्म कैसे शुरू करूं?
स्टेविया फार्म शुरू करने के लिए आपको स्टीविया की खेती के लिए उपयुक्त जगह चुननी और पौधों की उपयुक्त देखभाल के साथ खेती शुरू करनी होगी।
स्टीविया को बीज से उगाने में कितना समय लगता है?
स्टीविया को बीज से उगाने में आमतौर पर लगभग 20-30 दिन का समय लगता है।